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WPI में बड़ी गिरावट, महंगाई दर 2.31% पर, जानिए कैसे पड़ेगा आपकी जेब पर असर

WPI: जनवरी 2025 में थोक महंगाई दर घटकर 2.31% रही। सब्जियों की कीमतों में गिरावट के कारण खाद्य मुद्रास्फीति 5.88% रही, जो दिसंबर 2024 में 8.47% थी।

2 min read

भारत

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Ratan Gaurav

Feb 14, 2025

WPI Inflation Rate

WPI Inflation Rate: जनवरी 2025 में थोक महंगाई दर घटकर 2.31 प्रतिशत रह गई है। सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सब्जियों की कीमतों में गिरावट इसका मुख्य कारण रही है। दिसंबर 2024 में यह दर 2.37 प्रतिशत थी, जबकि जनवरी 2024 में मात्र 0.33 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

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WPI क्या है?

WPI (Wholesale Price Index) या थोक मूल्य सूचकांक, एक आर्थिक संकेतक है जो थोक व्यापार में वस्तुओं की औसत कीमतों को मापता है। यह सूचकांक उत्पादन, आपूर्ति और मांग के आधार पर मुद्रास्फीति की दर का मूल्यांकन करता है और आर्थिक नीतियों को निर्धारित करने में सहायक होता है।

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट

जनवरी 2025 में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 5.88 प्रतिशत रह गई, जो दिसंबर 2024 में 8.47 प्रतिशत थी। विशेष रूप से, सब्जियों की मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जो दिसंबर 2024 में 28.65 प्रतिशत थी और अब घटकर 8.35 प्रतिशत पर आ गई है। इससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, आलू और प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि (WPI) जारी रही। आलू की मुद्रास्फीति 74.28 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही, जबकि प्याज की मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 28.33 प्रतिशत हो गई। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कुछ वस्तुओं की कीमतें अब भी आम जनता के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं।

विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई बढ़ी

विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति में हल्की बढ़ोतरी देखी गई। दिसंबर 2024 में यह 2.14 प्रतिशत थी, जो जनवरी 2025 में बढ़कर 2.51 प्रतिशत हो गई। इसका अर्थ यह है कि उत्पादन लागत में वृद्धि (WPI) हो रही है, जो आगे चलकर उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों को प्रभावित कर सकती है।

खुदरा महंगाई में भी आई गिरावट

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2025 में घटकर 4.31 प्रतिशत हो गई। यह पिछले पांच महीनों का सबसे निचला स्तर है। इससे संकेत मिलता है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता आ रही है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना है।

आरबीआई की नीतियों पर असर

थोक और खुदरा मुद्रास्फीति (WPI) में आई यह गिरावट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति पर भी असर डाल सकती है। अगर मुद्रास्फीति दर इसी तरह स्थिर बनी रही, तो आरबीआई आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं करेगा। इससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं को फायदा मिल सकता है।

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आम जनता को राहत

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में और गिरावट आती है, तो इससे आम जनता को और राहत मिलेगी। हालांकि, आलू और प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि (WPI) चिंता का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इन वस्तुओं की आपूर्ति को सुचारू बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि कीमतों में स्थिरता लाई जा सके।