सिल्वर ईटीएफ ने इस साल भारी रिटर्न दिया है। (PC: Pixabay)
सोने ने ही नहीं, बल्कि चांदी ने भी इस साल निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। घरेलू हाजिर बाजार में चांदी का भाव 1,90,000 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर चुका है। वहीं, सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) इस साल अब तक 100 फीसदी से अधिक रिटर्न दे चुके हैं। इस तरह सिल्वर ईटीएफ सबसे अधिक रिटर्न देने वाले एसेट क्लास में से एक बन गई है। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल हो सकता है कि कीमतों में यह तेजी क्या एक बबल है या एक स्ट्रक्चरल बुल मार्केट की शुरुआत है।
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, चांदी की सप्लाई में इजाफे की रफ्तार घटी है। पहले अगर चांदी की कीमतों में 10% की बढ़ोतरी होती थी, तो खदानों का उत्पादन 5 से 7% तक बढ़ जाता था, क्योंकि उत्पादक कैपेसिटी बढ़ा देते थे या हाई-ग्रेड अयस्क का प्रसंस्करण शुरू कर देते थे। लेकिन अब यह रिस्पांस लगभग खत्म हो चुका है। ब्रोकरेज का अनुमान है कि अब उसी 10% की कीमत वृद्धि पर सिर्फ 2-3% उत्पादन वृद्धि ही देखने को मिलती है। क्योंकि दुनिया की लगभग तीन-चौथाई चांदी की सप्लाई वास्तव में सीसा, जस्ता और तांबे की खदानों से उप-उत्पाद (by-product) के रूप में आती है। यानी सप्लाई तेजी से बढ़ती मांग के अनुसार समायोजित नहीं हो रही है।
इस साल अब तक 16 सिल्वर ETFs और फंड ऑफ फंड्स 100 फीसदी से अधिक रिटर्न दे चुके हैं। टॉप परफॉर्मर्स में एचडीएफसी सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड्स और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल सिल्वर ईटीएफ हैं। दोनों में निवेशकों का पैसा दोगुना हो गया है।
साल 2025 में सिल्वर ईटीएफ में इनफ्लो, गोल्ड ईटीएफ की तुलना में तीन गुना बढ़ गया है। इसकी वजह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची कीमतें और बढ़ी हुई ग्लोबल डिमांड है। भारत में गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ मिलकर सभी म्यूचुअल फंड इनफ्लो का करीब 72 फीसदी हिस्सा है।
डिमांग में वृद्धि से फिजिकल सिल्वर की शॉर्टेज हो गई है। इससे ईटीएफ की कीमतें स्पॉट लेवल्स से ऊपर पहुंच गई हैं। कुछ ईटीएफ 10-15 फीसदी प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं।
टाटा, कोटक, सेबी और यूटीआई म्यूचुअल फंड्स ने अपने सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड्स में नए सब्सक्रिप्शन को रोक दिया है। वे उच्च फिजिकल सिल्वर प्रीमियम्स पर बैठे हुए हैं और सीमित सप्लाई इस अस्थायी रोक का कारण बनी है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि बड़े पैमाने पर सिल्वर ईटीएफ में निवेश करने से पहले प्रीमियम के नॉर्मल होने का इंतजार करना चाहिए। वहीं, एसआईपी इन्वेस्टमेंट निवेशकों को वोलैटिलिटी को संभालने और औसत खरीद लागत को बैलेंस करने में मदद कर सकता है।
Published on:
16 Oct 2025 05:45 pm
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