Inflation Rate Fall: महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत मिली है। थोक मुद्रास्फीति बढऩे की दर जनवरी में सुस्त होकर 2.31% रह गई। खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों की कीमतों में गिरावट (Inflation Rate) इसकी मुख्य वजह रही। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 2.37% थी।
जनवरी 2025 में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 5.88% रह गई, जबकि दिसंबर में यह 8.47% थी। सब्जियों की थोक महंगाई दर उल्लेखनीय रूप से गिरकर 8.35% हो गई, जो दिसंबर 2024 में 28.65% थी। इसका मुख्य कारण आलू और अन्य हरी सब्जियों की कीमतों (Inflation Rate) में आई नरमी रही। वहीं, ईंधन और बिजली श्रेणी में भी राहत (Inflation Rate) देखने को मिली। इस क्षेत्र में मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर -2.78% रह गई, जबकि दिसंबर में यह -3.79% थी। इससे ऊर्जा लागत में नरमी आने की संभावना है, जो उद्योगों और आम लोगों के लिए राहत भरी खबर हो सकती है।
माह | थोक महंगाई (%) |
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अगस्त | 1.25% |
सितंबर | 1.91% |
अक्टूबर | 2.36% |
नवंबर | 1.89% |
दिसंबर | 2.37% |
जनवरी | 2.31% |
कुछ खाद्य वस्तुएं ऐसी भी हैं, जिनकी कीमतें बढ़ी हैं, जिससे आम लोगों को राहत नहीं मिल पाई है।
वस्तु | दिसंबर (%) | जनवरी (%) |
---|---|---|
अनाज | 6.82% | 7.33% |
गेहूं | 7.63% | 9.75% |
दालें | 5.02% | 5.08% |
प्याज | 16.81% | 28.33% |
फल | 11.16% | 15.12% |
पैकेज्ड फूड | 9.68% | 10.42% |
हालांकि, कुछ वस्तुओं में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे कुछ राहत जरूर मिली है।
वस्तु | दिसंबर (%) | जनवरी (%) |
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खाद्य पदार्थ | 8.47% | 5.88% |
सब्जियां | 28.65% | 8.35% |
चावल | 6.93% | 6.22% |
अंडा-मांस | 5.43% | 3.56% |
तिलहन | -1.35% | -0.5% |
ईंधन | -3.79% | -2.78% |
हालांकि थोक बाजार में महंगाई दर धीमी हुई है, लेकिन खुदरा बाजार में कुछ आवश्यक वस्तुओं की कीमतें अभी भी अधिक बनी हुई हैं।
उत्पाद | खुदरा महंगाई दर (%) |
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फल | 12.22% |
खाद्य तेल | 15.64% |
नारियल तेल | 54.20% |
आलू | 49.61% |
लहसुन | 30.65% |
मटर | 30.17% |
खुदरा बाजार में भी महंगाई (Inflation Rate) बढ़ऩे की दर जनवरी में सुस्त पड़ गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर जनवरी 2025 में खुदरा महंगाई 4.31% रही, जो पिछले महीने 4.95% थी। वहीं, रिटेल फूड इन्फ्लेशन भी 8.39% से घटकर 6.02% हो गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाई बेस इफेक्ट के कारण महंगाई दर भले ही सुस्त हुई हो, लेकिन लोगों को महंगाई (Inflation Rate) की मार से पूरी राहत नहीं मिली है। आने वाले महीनों में मानसून और कृषि उत्पादन का असर खाद्य मुद्रास्फीति पर दिख सकता है। सरकार और रिजर्व बैंक महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए लगातार निगरानी कर रहे हैं।
Updated on:
15 Feb 2025 11:37 am
Published on:
15 Feb 2025 11:13 am