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बारिश में भीगा धान अंकुरित होने लगा, अब मुआवजे से आस

क्षेत्र में दीपावली के बाद लगातार हुई दो दिनों तक की बारिश ने किसानों की धान की उपज को लेकर बची हुई उम्मीद पर भी पानी फेर दिया। उड़द व सोयाबीन की फसलें तो पहले ही अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई थी और धान की फसल बची थी वह भी बरसात की भेंट चढ़ गई।

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बारिश में भीगा धान अंकुरित होने लगा, अब मुआवजे से आस

नोताडा. अंकुरित हुई धान की फसल को दिखाते किसान।

नोताडा. क्षेत्र में दीपावली के बाद लगातार हुई दो दिनों तक की बारिश ने किसानों की धान की उपज को लेकर बची हुई उम्मीद पर भी पानी फेर दिया। उड़द व सोयाबीन की फसलें तो पहले ही अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई थी और धान की फसल बची थी वह भी बरसात की भेंट चढ़ गई।
नोताडा, मालिकपुरा, देईखेडा सहित आसपास के अन्य गांवों के किसानों का कटकर पड़ा हुआ धान व खेतों में खड़ा धान बरसात की भेंट चढ़ गया। खेतों में खड़ा धान बरसात व हवा के कारण आडा पड़ गया तो वहीं जिन किसानों का धान कट गया था और घर पर रखने और मंडी में जगह नहीं होने के कारण खेतों में फैला रखा था वह भी अब अंकुरित होने लगा और बदबू मारने लगा, जिसे अब किसान कहीं इधर उधर जगह देखकर धुप में सुखाने का प्रयास कर रहे हैं। नोताडा निवासी शिवराज चौधरी ने बताया कि आधे धान की कटाई हुई थी। उसके भी खेत में ढेर कर रखे हैं और अभी आधा धान खेतों में ही खड़ा है, जो बरसात और हवा में आडा पड़ गया था।

तिरपालों से ढका, फिर भी नहीं बचा
उधर, मालिकपुरा गांव में एक खेत में आठ दस किसानों का करीब पचास से भी अधिक ट्रॉली धान के ढेर खेतों में पड़े हुए हैं, जिनको बरसात में तिरपालों से ढक दिया था, लेकिन नीचे से पानी जाने के कारण अंकुरित ्रहोने लग गया। ग्रामीण गिरिराज गौतम, हरीशंकर, मुलचंद गौतम, भंवरलाल, रामराज चौधरी आदि ने बताया कि मंडियों में जगह नहीं होने और बरसात के कारण खेतों में ही ढेर लगाकर तिरपालों से ढका था, लेकिन नीचे पानी जाने से अंकुरित होने लगा, जिसे अब दुसरी जगह धुप में फैला कर सुखाने का प्रयास कर रहे हैं।

काला पड़ गया
उधर सडक़ पर धान फैला रहे महावीर सैनी, नन्द किशोर प्रजापत, भुली बाई सैनी, प्रकाश चंद मीणा आदि ने बताया की बरसात में भीगने से धान बदबू मारने लगा है और काला पड़ गया, जिसका भाव भी मंडी में कम ही मिलने की सम्भावना है। इन किसानों ने पन्द्रह -सोलह हजार रुपए बीघा में ज्वारा काश्त पर जमीनें ले रखी है और प्रति बीघा खाद, बीज, दवाई, हंकाई, जुताई आदि का खर्चा दस से बारह हजार रुपए से अधिक का आया है और उत्पादन सात आठ बोरी प्रति बीघा का हुआ है, जो भी बरसात में भीग गया अब तो लागत निकलने के आसार भी नहीं लग रहे हैं। किसानों ने सरकार से किसानों को मुआवजे की मांग रखी है।

आगामी फसल भी होगी प्रभावित
किसानों ने बताया कि बरसात से अभी खेतों में पानी भर गया, जिससे अब खेतों को सुखने में भी समय लगेगा। इस बरसात कि वजह से किसानों को अब आगामी फसल गेहूं की बुवाई के लिए खेतों को सुखने का इंतजार करना पड़ेगा, जिससे आगामी फसल की बुवाई देरी से होगी और असर से उत्पादन पर भी पड़ेगा।