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खानपुरा के नरेगा श्रमिकों ने स्टेट हाइवे पर लगाया जाम

खानपुरा ग्राम पंचायत के खानपुरा व कीरों का झोपड़ा गांव के नरेगा श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के बजाए जारी मस्टरोल को ग्राम पंचायत द्वारा वापस कार्यालय में जमा कराने के विरोध में शनिवार को शनिवार को पंचायत समिति कार्यालय के बाहर धरना देकर बैठे श्रमिकों ने कार्यालय के बाहर ही एसएच 34 पर जाम लगा दिया।

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खानपुरा के नरेगा श्रमिकों ने स्टेट हाइवे पर लगाया जाम

जाम लगाकर बैठे श्रमिक

नैनवां. खानपुरा ग्राम पंचायत के खानपुरा व कीरों का झोपड़ा गांव के नरेगा श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के बजाए जारी मस्टरोल को ग्राम पंचायत द्वारा वापस कार्यालय में जमा कराने के विरोध में शनिवार को शनिवार को पंचायत समिति कार्यालय के बाहर धरना देकर बैठे श्रमिकों ने कार्यालय के बाहर ही एसएच 34 पर जाम लगा दिया। श्रमिक 11 बजे नैनवां पंचायत समिति कार्यालय पर पहुंचे व धरना देकर बैठ गए। शनिवार को अवकाश होने से कार्यालय में कोई नहीं मिलने से श्रमिक आक्रोशित श्रमिकों ने कार्यालय के बाहर स्टेट हाइवे पर जाम लगा दिया। जाम की सूचना मिलते ही थानाधिकारी कमलेश शर्मा मय जाप्ते के मौके पर पहुंचे और श्रमिकों को समझाकर जाम हटवाया। श्रमिकों की विकास अधिकारी से बात कराई। विकास अधिकारी द्वारा दीपावली के अवकाश के बाद मस्टरोल वापस जारी करवाकर रोजगार देने के आश्वासन के बाद श्रमिकों ने विकास अधिकारी के नाम थानाधिकारी को ज्ञापन दिया।

ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं की
ज्ञापन में लिखा कि 13 एवं 14 अक्टूबर को दोनों गांवों के लोगों ने नरेगा योजना में कार्य की मांग को लेकर ग्राम पंचायत कार्यालय एवं पंचायत समिति कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया गया था। प्रदर्शन के पंचायत समिति द्वारा बाद 16 अक्टूबर को श्रमिकों को रोजगार देने के लिए मस्टरोल जारी की गई थी। 16 अक्टूबर को सभी श्रमिक कार्य स्थल पर पहुंच गए थे, लेकिन मेट द्वारा श्रमिकों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं की गई तथा जारी की गई मस्टरोल को वापस ग्राम पंचायत में जमा करवा दिया गया, जिसकी श्रमिकों को कोई सूचना नहीं दी गई। श्रमिक शनिवार सुबह तय समय पर कार्य स्थल पर पहुंचे तो कार्यस्थल पर मेट उपस्थित नहीं हुआ। अधिकारियों से जानकारी ली तो बताया कि मेट ने मस्टरोल को वापस पंचायत में जमा करवा दिया, जिससे उनके सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया। पहले ही क्षेत्र में हुई अतिवृष्टि के कारण फसलें पूर्ण रूप से नष्ट हो गई है एवं खेतों में पानी भरा हुआ है। ऐसी स्थिति में उनके सामने रोजगार का गंभीर संकट पैदा हो चुका है। श्रमिकों पंचायत कर्मचारियों पर प्रशासनिक अधिकारियों को गलत जानकारी देकर भ्रमित करने का आरोप लगाया।