खटकड़. मिट्टी के बर्तन बनाता कुंभकार।
खटकड़. दीपावली का त्यौहार नजदीक आने से कुंभकार मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट गए। दिन -रात कई घंटों काम कर मांग के अनुरूप बर्तन तैयार किए जा रहे है। इस कार्य में परिवार के मुखिया का अन्य सदस्य भी सहयोग कर रहे है, लेकिन इस कार्य में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे कई कुंभकार परिवारों का इस धंधे से मोह भंग हो गया। जिसके चलते कुछ ही परिवार इस धंधे से जुड़े है।
ग्रामीण राधेश्याम प्रजापत ने बताया कि इस कार्य में मिट्टी नहीं मिलना सबसे बड़ी चुनौती है। डेढ़ दशक पूर्व तक आसानी से मिट्टी मिल जाती थी। कुछ वर्ष पूर्व पांच सौ से एक हजार रुपए में एक ट्रॉली मिट्टी मिल जाती थी। वर्तमान में तीन हजार रुपए में भी एक ट्रॉली मिट्टी मिलना मुश्किल हो रहा है। बीते कई दिनों से चार से पांच किलोमीटर दूर लोहली गांव के खेतों से मिट्टी लानी पड़ रही है। अब तो लकड़ी का बुरादा भी महंगा मिलने लगा है, जो डेढ़ सौ रुपए में एक कट्टा मिलता है।
मुनाफा नहीं मिलता
कस्बे में लगभग दो दर्जन परिवार पीढ़ियों से मिट्टी के बर्तन बनाते थे, लेकिन अब चार- पांच परिवार ही इस कार्य को कर रहे है। कुंभकार राधेश्याम प्रजापत ने बताया कि दीपावली के सीजन में मटकी, घड़ा, साधा कलश, रंगीन कलश, करवा, दीपक आदि की अधिक मांग रहती है। इनको तैयार करने के लिए दीपावली से लगभग एक माह पूर्व कार्य शुरू करते है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में मेहनत के अनुसार मुनाफा नहीं मिलता फिर भी पुस्तैनी धंधे से जुड़े हुए है।
Published on:
07 Oct 2025 05:53 pm
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