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बिहार की मिट्टी से आया ये एक्टर, 275 फिल्में देकर बना था हिंदी सिनेमा का पहला किंग

DaDa Muni Of Cinema: बिहार की मिट्टी से आया ये एक्टर, जिसने अपनी मेहनत और कला के बल पर हिंदी सिनेमा में एक अलग पहचान बनाई, वो कोई और नहीं सिनेमा के दादा मुनि हैं, इन्होंने अपनी पहली फिल्म से ही दर्शकों का दिल जीत लिया और जल्द ही अपने अभिनय के जरिए हिंदी सिनेमा का पहला किंग बने…

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हिंदी सिनेमा के पहले किंग (सोर्स: X)

हिंदी सिनेमा के पहले किंग (सोर्स: X)

Dada Muni of Cinema: बॉलीवुड की दुनिया में एक से बढ़कर एक कलाकारों ने अपनी कला के बल पर कदम जमाए हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने छोटे शहरों से शुरुआत कर देश-दुनिया के दिलों में अपनी खास पहचान बनाई है। बता दें कि ऐसे ही एक महान अभिनेता थे अशोक कुमार, जिनका जन्म बिहार के भागलपुर जिले में 13 अक्टूबर आज 1911 को हुआ था। उनका असली नाम कुमुद लाल गांगुली था, जो एक बंगाली हिंदू परिवार से रिश्ता रखते थे।

275 फिल्में देकर बना था हिंदी सिनेमा का पहला किंग

अशोक कुमार का परिवार शुरू में चाहते थे कि वो वकालत की राह पर चलें, क्योंकि पिता एक फेमस वकील थे। लेकिन कला और अभिनय के प्रति उनके मन में एक अलग ही जुनून था। उन्होंने अपने जीवन में इस सपने को साकार करने का फैसला किया, और धीरे-धीरे हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े स्टार बन गए। साथ ही 1934 में अपने सफर की शुरुआत करने वाले अशोक कुमार ने करीब 63 सालों तक फिल्मी दुनिया में योगदान दिया। उनके अभिनय में ऐसा जादू था कि फैंस उन्हें प्यार से 'सिनेमा का दादा' कहने लगे।

हिंदी सिनेमा

बता दें कि उनकी फिल्में कई इतिहास दर्ज कर चुकी हैं, जिनमें 'किस्मत' (1943) है। ये फिल्म हिंदी सिनेमा की पहली ऐसी रिलीज थी जिसने उस दौर में बॉक्स ऑफिस पर एक करोड़ रुपये का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। अशोक कुमार ने अपने करियर में 275 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें 'जन्मभूमि', 'सावित्री', 'बंधन', 'महल', 'खिलाड़ी', 'अफसाना', 'कानून', 'सितारों से आगे' और 'धर्म पुत्र' जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।

दरअसल, हर फिल्म में उनका होना फैंस में हमेशा चर्चा का विषय रहा। हालांकि, अशोक कुमार ने अपने जीवन में संघर्षों का सामना किया और अपने मेहनत से वो फिल्मी दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाया। उनकी कहानी आज भी युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके कार्यकाल में सिनेमा ने नए आयाम छुए, और उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज उनकी 114वीं जयंती के मौके पर भारत के टीवी और सिनेमाई जगत ने उन्हें नमन किया है। वो ना केवल एक अभिनेता, बल्कि भारतीय सिनेमा के एक महान प्रतीक भी हैं। उनके अलग-अलग किरदार आज भी हर फैंस के दिलों में जिंदा हैं।