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छत्तीसगढ़ में त्योहार के मौके पर खुले खाद्य पदार्थों पर कार्रवाई तेज, पैक्ड आइटम्स की जांच में ढील…

CG News: बिलासपुर जिले में त्योहार आते ही शहर में कई छोटे-बड़े दुकानदार विभिन्न प्रकार की अमानक खाद्य सामग्री बेच रहे हैं।

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छत्तीसगढ़ में त्योहार के मौके पर खुले खाद्य पदार्थों पर कार्रवाई तेज, पैक्ड आइटम्स की जांच में ढील...(photo-patrika)

छत्तीसगढ़ में त्योहार के मौके पर खुले खाद्य पदार्थों पर कार्रवाई तेज, पैक्ड आइटम्स की जांच में ढील...(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में त्योहार आते ही शहर में कई छोटे-बड़े दुकानदार विभिन्न प्रकार की अमानक खाद्य सामग्री बेच रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि इन खाद्य सामग्री की पैकिंग पर एक्सपायरी डेट व कंपनी का नाम तक नहीं है। इसके खिलाफ कार्रवाई के प्रावधान हैं, लेकिन खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारी कार्रवाई से पीेछे हैं।

अमानक पैक्ड खाद्य पदार्थों की बिक्री होने से विशेषकर बच्चों के साथ लोगों के स्वास्थ्य को खतरा बना हुआ है। बगैर नियम व कानून के नगर में बेची जा रही खाद्य सामग्री से न केवल बच्चों की सेहत बिगाड़ सकती है, बल्कि यह उनके लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है। हैरानी इस बात ही है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की सांठ-गांठ से नगर में यह कारोबार चल रहा है।

CG News: पैक्ड खाद्य पदार्थों में न एक्सपायरी डेट न कंपनी का नाम

शहर में बढ़ते खाद्य उत्पादों के कारोबार एवं त्योहारों पर सैंपलिंग जांच शुरू होने के बीच खाद्य एवं औषधि विभाग की जांच नीति पर सवाल उठने लगे हैं। विभाग का सैंपलिंग अभियान जहां खुले खाद्य पदार्थ बेचने वालों तक सीमित है, वहीं ब्रांडेड पैक्ड आइटम्स की जानबूझकर अनदेखी की जा रही है।

खुले तेल, मिठाई, मसाले, और दूध-जैसे पदार्थों पर कार्रवाई के बीच, पैक्ड स्नैक्स, बिस्किट, सॉस, नूडल्स, पेय पदार्थ और रेडी-टू-ईट फूड्स पर विभाग की चुप्पी लोगों की सेहत पर खतरा बन रही है। जबकि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 और लाइसेंसिंग एवं पंजीयन विनियम-2011 के तहत खुले व पैक्ड समान रूप से सैंपलिंग और जांच के दायरे में आते हैं।

विभाग को प्रत्येक श्रेणी से नमूने लेकर जांच करनी चाहिए, ताकि उत्पाद की गुणवत्ता, लेबलिंग, एक्सपायरी और मानक का परीक्षण किया जा सके। इस लिहाजा से नियम साफ कहते हैं कि ब्रांडेड प्रोडक्ट्स भी खाद्य सुरक्षा मानकों के अंतर्गत हैं, इसलिए उनकी भी जांच जरूरी है।

अधिकारी बोले- ब्रांडेड सामान गुणवत्तायुक्त, लोकल में मिलावट की ज्यादा आशंका

स्थानीय खुले खाद्य पदार्थों की डिमांड ज्यादा रहती है और इन्हीं में मिलावट की आशंका अधिक होती है। इसलिए हमारा फोकस इन्हीं पर रहता है। हालांकि, कभी-कभी ब्रांडेड फूड की जांच भी की जाती है। पर ब्रांडेड कंपनियों की क्वॉलिटी सामान्यत: बेहतर होती है, इसलिए उनकी चेकिंग प्राथमिकता में नहीं आती। अब आगे इस दिशा में भी ध्यान दिया जाएगा।

ब्रांडेड पर भरोसा, पर मिलावट से इंकार नहीं

उपभोक्ता संगठन और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ‘ब्रांडेड’ का अर्थ ‘शुद्ध’ नहीं होता। कई बार पैक्ड फूड में प्रतिबंधित रसायन, कृत्रिम रंग, ट्रांस फैट और एक्सपायरी से छेड़छाड़ जैसे मामले सामने आ चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर एफएसएसएआई द्वारा समय-समय पर जब्त किए गए नमूनों में कई बड़े ब्रांड भी फेल पाए गए हैं। इसलिए ब्रांडेड की भी जांच जरूरी है।

जागरूकता जरूरी, लोग भी करें सवाल

विशेषज्ञों का कहना है कि जनता को भी जागरूक होकर ‘ब्रांडेड’ टैग पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। हर पैक्ड उत्पाद पर एफएसएसएआई नंबर, मैन्युफैक्चरिंग/एक्सपायरी डेट और लेबलिंग विवरण अवश्य जांचना चाहिए। साथ ही, उपभोक्ता चाहे तो खाद्य विभाग से किसी भी ब्रांडेड आइटम की जांच की मांग कर सकते हैं।