सुआ नृत्य (फोटो सोर्स- पत्रिका)
Chhattisgarh News: दीपावली के पहले ही छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की झलक गांव-गांव में दिखने लगी है। ग्राम पंचायत बेलखुरी में बच्चियों की टोली पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे घर-घर जाकर सुआ नृत्य कर रही हैं। ढोलक की थाप और गीतों की गूंज से पूरा गांव उत्साह और उमंग से भर उठा है।
सामाजिक कार्यकर्ता और शासकीय वीरांगना अवंतीबाई लोधी महाविद्यालय पथरिया के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुरेश कुमार राजपूत ने बताया कि सुआ नृत्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह नृत्य महिलाओं और बच्चियों द्वारा किया जाता है, जिसमें वे फसल कटाई के बाद की खुशियों को साझा करती हैं। यह परंपरा आदिवासी समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी हुई है।
इस नृत्य में महिलाएं मिट्टी के तोते सुआ को धान से भरी टोकरी में रखकर उसके चारों ओर गोल घेरा बनाती हैं। वे ताली बजाते हुए पारंपरिक गीत गाती हैं सुआ नाचे गली गली, महके फुलवारी आज। इन गीतों के माध्यम से प्रकृति, फसल और समाज के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। सुवा नृत्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सामाजिक ताने-बाने और धार्मिक आस्थाओं का जीवंत प्रतीक है।
Published on:
18 Oct 2025 05:08 pm
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