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आखिर क्या होगा राजस्थान में स्कूलों का? 4 महीने में सिर्फ 70 दिन हुई पढ़ाई, परीक्षा सिर पर होने से टेंशन में शिक्षक-स्टूडेंट्स

राज्य सरकार ने 20 नवंबर से समान अर्द्धवार्षिक परीक्षा घोषित कर दी है तो शिक्षक और विद्यार्थी दोनों दबाव में हैं। शिक्षकों की भारी कमी भी पढ़ाई की रफ्तार थामे हुए हैं।

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Rajasthan schools

चार महीने में स्कूल लगे 70 दिन, अब तक आधा पाठ्यक्रम भी नहीं पूरा (फोटो- पत्रिका)

बीकानेर: राजस्थान के स्कूलों में शिक्षा सत्र शुरू हुए चार महीने बीत चुके हैं। लेकिन पाठ्यक्रम अब तक पूरा नहीं हो पाया है। वजह शिक्षक कभी पौधरोपण में लगे रहे, कभी डोर-टू-डोर सर्वे में तो कभी प्राकृतिक आपदाओं या प्रतियोगी परीक्षाओं के कारण स्कूल बंद रहे।


अब जब सरकार ने 20 नवंबर से समान अर्द्धवार्षिक परीक्षा घोषित कर दी है तो शिक्षक और विद्यार्थी दोनों दबाव में हैं। शिक्षकों की भारी कमी भी पढ़ाई की रफ्तार थामे हुए हैं। राज्य में इस समय व्याख्याताओं के 45 हजार, वरिष्ठ शिक्षकों के 41,683 तथा तृतीय श्रेणी शिक्षकों के हजारों पद रिक्त हैं। इसके अलावा, अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में चयन के चलते हिंदी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों का टोटा और बढ़ गया है।


88 दिन लगने थे स्कूल


शिविरा पंचांग के अनुसार, जुलाई से अक्टूबर तक 88 दिन स्कूल लगने थे, लेकिन शिक्षण 70 दिन ही हुआ। जुलाई में 27, अगस्त में 23, सितंबर में 22 और अक्टूबर में 16 कार्य दिवस निर्धारित थे। 13 से 24 अक्टूबर तक मध्यावधि अवकाश और मानसून में कई जिलों में स्कूल भवन जर्जर होने के कारण छुट्टियां रहीं।


कम हुआ कोर्स


शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब तक स्कूलों में औसतन 35 से 45 प्रतिशत पाठ्यक्रम ही पूरा हो पाया है। जबकि विभाग ने निर्देश दिए थे कि 15 नवंबर तक पूरा पाठ्यक्रम हो जाए। हालांकि, इन्हीं हालात को देखते हुए विभाग ने नवंबर में किसी अन्य गतिविधि पर रोक लगा दी है, ताकि पढ़ाई की गति बढ़ाई जा सके।


इन कारणों से भी रुका अध्ययन


-शिक्षक व्यस्त रहे पौधरोपण, मतदाता सर्वे और प्रतियोगी परीक्षाओं में।
-मानसून के दौरान कई जिलों में स्कूल जर्जर रहने से पढ़ाई रही बाधित।
-नामांकन बढ़ाने के लिए शिक्षकों का घर-घर जाना, नतीजतन पढ़ाई रही प्रभावित।
-बार-बार की अकादमिक और प्रशासनिक गतिविधियों ने भी पढ़ाई रोकी।


इस बारे में पूछे जाने पर शिक्षा निदेशक सीताराम जाट का कहना है कि नवंबर में सिर्फ पढ़ाई पर फोकस रहेगा। पाठ्यक्रम पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। जो हिस्सा पढ़ाया जाएगा, उसी से प्रश्नपत्र तैयार होंगे। 20 नवंबर तक 70 से 80 प्रतिशत पाठ्यक्रम पूरा हो जाएगा।