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अंतरराष्ट्रीय सांचू पोस्ट सीमा दर्शन से पहले सड़क देखने को तरस जाती हैं नजरें, बॉर्डर की राह कठिन

अंतरराष्ट्रीय सीमा की सांचू चौकी को पर्यटकों के भ्रमण के लिए खोल जरूर दिया है, लेकिन रणजीतपुरा के बाद क्षतिग्रस्त एकल सड़क से भी पर्यटकों को परेशानी होती

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बीकानेर के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ​िस्थत सांचू पोस्ट पर बना मंदिर।

सालों से क्षतिग्रस्त सड़क के अब अवशेष मात्र बचे, बीकानेर से 180 व बज्जू से 80 किमी दूर बॉर्डर की दर्शनीय सांचू चौकी

बज्जू. अंतरराष्ट्रीय सीमा का नाम लेते ही जहन में आता है, सामने दुश्मन और कई खतरे। गौरतलब है कि सीमा दर्शन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पर्यटक स्थल तैयार करवाएं हैं, जिससे आमजन व पर्यटक इनका लुत्फ उठा सके।

लेकिन विभाग व प्रशासन की उदासीनता के चलते बॉर्डर पर पहुंचते-पहुंचते पर्यटक बेसुध हो जाते है। सीमावर्ती क्षेत्र को जोडऩे वाली सड़क की हालत खस्ता है। सड़क से डामर व कंकड़ गायब हो चुके हैं और गहरे गड्ढे बने है। छोटी सड़क पर सामने से वाहन आने पर दिक्कतें उठानी पड़ती है।

कुछ ऐसा ही सफर सांचू सीमा चौकी पर पहुंचने वाले पर्यटकों के साथ हो रहा है। केंद्र सरकार ने सीमा दर्शन कार्यक्रम के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा की सांचू चौकी को पर्यटकों के भ्रमण के लिए खोल जरूर दिया है, लेकिन रणजीतपुरा के बाद क्षतिग्रस्त एकल सड़क से भी पर्यटकों को परेशानी होती है। महत्वपूर्ण स्थानों पर साइन बोर्ड का भी अभाव है, जिससे बाहर से आने वाले पर्यटक भटक जाते हैं। रोही क्षेत्र होने के कारण सही रास्ता बताने वाले भी कभी कभार ही मिलते है। लंबा सफर होने के साथ बॉर्डर पर पहुंचते ही कैंटीन सुविधा पर भी लंबे समय से ताला लगा है, जिससे भोजन की बड़ी समस्या है, तो रास्ते में पानी की समस्या से भी पर्यटकों को गुजरना पड़ता है।

सड़क के बचे अवशेष
सीमावर्ती क्षेत्रों को जोडऩे वाली सड़क की सुध नहीं ला रही है। रणजीतपुरा से आगे 40 किलोमीटर का सफर डेढ़ से दो घंटे में पूर्ण होता है। सीमा क्षेत्र में जिप्सम का भंडार होने के कारण माफिया ओवरलोड ट्रोलों से जिप्सम को इस सड़क से परिवहन करते हैं, जिससे सड़क के हाल बेहाल हैं। सरकार व प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। जब से सांचू सीमा दर्शन के लिए खोला है, तब से सड़क के हालात ज्यादा खराब होते जा रहे है। सड़क के नाम पर मात्र अवशेष ही बचा है।

जर्जर सड़क पर सफर
सीमा दर्शन सांचू की दूरी जिला मुख्यालय से 180 किलोमीटर है, तो बज्जू उपखंड मुख्यालय से 80 किलोमीटर है। बीकानेर से बज्जू होते हुए रणजीतपुरा पहुंचना पड़ता है। इसके बाद रणजीतपुरा से 40 किलोमीटर आगे बॉर्डर की तरफ सफर करना होता है। यहा जर्जर सड़क पर सफर करना मजबूरी बना है

पर्यटकों की पसंद
पर्यटकों को पाकिस्तानी क्षेत्र की झलक दिखाने के लिए विशेष तौर पर प्लेटफार्म बनाया गया है। भारत-पाक के बीच वर्ष 1965 और 1971 का युद्ध इसी पोस्ट पर लड़ा गया था। वर्ष 1965 युद्ध से पहले बीकानेर जिले के बॉर्डर बेल्ट में सांचू सबसे बड़ा गांव था। वर्ष 1965 के युद्ध में इस सीमा चौकी को पाकिस्तान से मुक्त करवाया था। यहां म्यूजियम भी गाथाओं का वर्णन करता है।