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‘मैं पात्र हूं, लेकिन लाड़ली बहना योजना का नहीं मिल रहा लाभ’, सरकारी विभागों में शिकायतों का अंबार

MP News: मैं पात्र हूं, लेकिन लाड़ली बहना योजना(Ladli Behna Yojana) का लाभ नहीं दे रहे। मेरा राशन कार्ड अटका दिया। नल-जल योजना की मोटर खराब हो गई, पानी नहीं मिल रहा। ऐसी 1 लाख 84 हजार 990 शिकायतें लंबित है।

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Madhya Pradesh news

Madhya Pradesh news (फोटो सोर्स : पत्रिका)

MP News: मैं पात्र हूं, लेकिन लाड़ली बहना योजना(Ladli Behna Yojana) का लाभ नहीं दे रहे। मेरा राशन कार्ड अटका दिया। नल-जल योजना की मोटर खराब हो गई, पानी नहीं मिल रहा। प्रसूति सहायता की राशि नहीं दे रहे। प्रदेश में ऐसी 1 लाख 84 हजार 990 शिकायतें लंबित है। इन्हें 100 दिन से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अफसर इनका निराकरण नहीं करवा पा रहे हैं।

महिला एवं बाल विकास विभाग में सबसे ज्यादा शिकायतें

सबसे ज्यादा 25 हजार शिकायतें मंत्री निर्मला भूरिया के महिला एवं बाल विकास विभाग में लंबित है तो खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विभाग की 21 हजार शिकायतें ऐसी है, जिन्हें 100 दिन से अधिक का समय हो चुका है लेकिन निराकरण नहीं करवाया जा रहा है। जबकि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के नगरीय विकास एवं आवास विभाग से खपा 53 सौ लोग कह रहे हैं कि सड़क, नाली, सीवेज, सीवर लाइनों की सफाई नहीं की जा रही है। स्ट्रीट लाइट का बंद होने से चोरी और लूट का खतरा है। मच्छर जनित बीमारियों को मच्छरों का बढ़ता प्रकोप न्योता दे रहा है।

शिकायतों का अंबार

विशेषज्ञों की मानें तो शिकायत करने की स्थिति ही नहीं बननी चाहिए। अब यदि हो रही है तो इनका 8 से 10 दिन में निराकरण करना चाहिए था। लेकिन ये दोनों व्यवस्था ठीक से काम नहीं कर रही। नतीजा, लोग सीएम हेल्पलाइन के बाद अब सीपी ग्राम जैसे कई पोर्टलों पर शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं। हेल्पलाइन पर सरकार निगरानी निरंतर बढ़ाते जा रही है। इसके बाद भी कई विभागों में शिकायतों का अंबार लगा हुआ है।

मंत्री-विभाग प्रमुखों की अनदेखी

सामाजिक मामलों के जानकार राजकुमार सिन्हा का कहना है कि विभाग के मुखिया मंत्री और एसीएस, पीएस व सचिव होते हैं। यदि उनके विभागों में इस तरह शिकायतें लंबित है, इसका मतलब काम नहीं कर रहे। होते तो शिकायतों का ये पहाड़ दिखाई नहीं देता। मंत्रियों को चाहिए कि वे जनता से जुड़े कामों पर भी ध्यान दें, ताकि शिकवा-शिकायतों की नौबत ही न पड़े, जो अधिकारी काम नहीं कर रहे, उनसे जवाब लें। समय पर मॉनिटरिंग की जाए तो शिकायतों का पहाड़ ही न एकत्रित हो और जनता को भी समय पर योजना का लाभ मिल सकेगा।

जाने किस विभाग की कितनी शिकायतें, क्या है वजह


  1. महिला एवं बाल विकास विभाग: 25 हजार 497 शिकायतें लंबित है। ज्यादातर लाड़ली बहना योजना से संबंधित है, जिसमें कई महिलाओं का कहना है कि वे पात्र है लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिल रहा। कुछ ने कहा कि उन्हें पहले राशि मिलती थी, बाद में बंद हो गई।




  2. खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग: 21 हजार 257 शिकायतें लंबित है। शिकायतकर्ताओं कहना है कि नए राशन कार्ड जारी नहीं हो रहे, पात्रता पर्ची भी नहीं मिल रही। राशन दुकान समय पर नहीं खुलने, राशन देने में गड़बड़ी की भी शिकायतें हैं।




  3. नगरीय विकास एवं आवास विभाग: 5,372 शिकायतें लंबित है। इनमें सड़क, नाली, सीवेज, सीवर लाइनों की सफाई नहीं होना, स्ट्रीट लाइट जैसी कई अन्य समस्याएं हैं।




  4. लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग: डिस्चार्ज होने के बाद प्रसूति सहायता राशि के चेक नहीं दिए जा रहे। कहते हैं, आप तो अपात्र हो गए। स्वास्थ्य संबंधित कमियों पर भी असंतोष।

5. श्रम विभाग: 6 हजार 577 शिकायतों का निराकरण होना बाकी है। ये सभी कर्मचारी मंडल व श्रमिकों के कल्याण में आ रही रुकावटों से जुड़ी हैं। तो कुछ श्रम कानून संबंधित है।


  1. सहकारिता विभाग: 4 हजार 789 शिकायतें चल रही है, जिसमें क्रेडिट कार्ड पर ऋण, नगद राशि, खाद-बीज नहीं मिलना, दवाइयों का टोटा, समितियों में गड़बड़ी, खाद की कालाबाजारी आदि शामिल है। समितियों के भ्रष्टाचार के भी मामले पहुंचे।




  2. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग: 4 हजार 77 लोगों ने कहा है कि प्रदेश में विभागों से जुड़े पोर्टलों को उपयोग करने में दिक्कतें हो रही है। कई पोर्टलों पर तो अपडेट ही नहीं डाले जा रहे। इससे विभाग की योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।