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चिंताजनक: बिजली की बढ़ी दरों से टूटेगी हमारे उद्योगों की कमर

- भीलवाड़ा-चित्तौड़गढ़ के उद्योगों पर 1000 करोड़ का वार्षिक भार - एक रुपए प्रति यूनिट रेगुलेटरी सरचार्ज बना बोझ

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Worrying: Rising electricity rates will break the back of our industries

Worrying: Rising electricity rates will break the back of our industries

राज्य विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) की ओर से लगाए गए एक रुपए प्रति यूनिट के रेगुलेटरी सरचार्ज ने उद्योग जगत की चिंता बढ़ा दी है। भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ के बड़े उद्योगों पर अब करीब 1000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बिजली भार पड़ेगा। आयोग की ओर से जारी नए टैरिफ के बाद उद्योगों को मिलने वाली बिजली 1.12 से 1.30 रुपए प्रति यूनिट महंगी हो गई है। अब प्रति यूनिट बिजली की औसत लागत 7 रुपए 96 पैसे तक पहुंच गई है, जो राजस्थान को पड़ोसी राज्यों मध्यप्रदेश व गुजरात की तुलना में सबसे महंगा राज्य बना रही है।

15 प्रतिशत बिजली दर वृद्धि नहीं झेल सकेंगे उद्योग

आरईआरसी के आदेश से औद्योगिक बिजली दरों में लगभग 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही आयोग ने फिक्स चार्ज में 100 रुपए की वृद्धि भी कर दी। उद्योग जगत का कहना है कि बिजली कपड़ा, सीमेंट, टायर, कांच और सिरेमिक उद्योगों की लागत का प्रमुख घटक है। दरें बढ़ने से उत्पादन लागत 15 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। इसका सीधा असर आम उपभोक्ता पर भी पड़ेगा। पहले से ही अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से उद्योग परेशान हैं। अब बिजली की दरों में बढ़ोतरी ने स्थिति और गंभीर बना दी है। बढ़ी हुई लागत के कारण निर्यात महंगा होगा। इससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बांग्लादेश, वियतनाम और अन्य एशियाई देश भारत से आगे निकल जाएंगे। इसके चलते निर्यात ऑर्डर रद्द हो रहे हैं और राजस्थान के कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

5 हजार करोड़ के उद्योगों का पलायन

पड़ोसी राज्यों में बिजली दरें कम होने से राजस्थान से उद्योगों का पलायन तेज हो गया है। अनुमान है कि अब तक 5 हजार करोड़ से अधिक का निवेश गुजरात और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में स्थानांतरित हो चुका है। टेक्सटाइल और सीमेंट उद्योग, जो राजस्थान में सर्वाधिक रोजगार देने वाले क्षेत्र हैं, अब गंभीर औद्योगिक मंदी की ओर बढ़ रहे हैं। उद्योग संगठनों का आरोप है कि आयोग ने पहले आपत्तियां आमंत्रित तो कीं, लेकिन 100 से अधिक औद्योगिक संगठनों की राय को नजर अंदाज कर दिया। निर्णय में केवल डिस्कॉम के हित को ध्यान में रखा गया। इससे उद्योगों पर 1000 करोड़ का अतिरिक्त भार आ गया है। भीलवाड़ा के प्रमुख औद्योगिक घरानों पर ही 20 से 40 करोड़ रुपए वार्षिक भार बढ़ने का अनुमान है। उद्योग संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार और आरईआरसी ने इस सरचार्ज को वापस नहीं लिया तो औद्योगिक इकाइयों का संचालन असंभव हो जाएगा। जल्द ही उद्योग प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री और उद्योग मंत्री से मुलाकात कर अपनी समस्याएं रखेगा।

टूट जाएगी उद्योगों की रीढ़

रेगुलेटरी सरचार्ज से उद्योगों की रीढ़ टूट जाएगी। यह निर्णय तत्काल वापस लिया जाए अन्यथा औद्योगिक इकाइयों को चलाना मुश्किल हो जाएगा।

- आरके जैन, महासचिव, मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स

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रेगुलेटरी सरचार्ज का असर

  • - बिजली दरों में 15 प्रतिशत तक वृद्धि
  • - उद्योगों पर 1000 करोड़ का वार्षिक अतिरिक्त भार
  • - उत्पादन लागत में 15 प्रतिशत इजाफा
  • - 5 हजार करोड़ के उद्योगों का पलायन
  • - निर्यात पर नकारात्मक असर