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भैयादूज पर हुआ चमत्कार, जिंदा मिली तीन साल से लापता बहन, देखा तो एक दूसरे से लिपटकर रोए

तीन साल से लापता और मृत समझी जा चुकी महिला अपने भाई से फिर मिल गई।

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कभी-कभी जिंदगी ऐसे मोड़ पर पहुंच जाती है, जहां उम्मीदें बुझ जाती हैं और इंतजार थम जाता है, लेकिन फिर कोई चमत्कार सब कुछ बदल देता है। भरतपुर में ऐसा ही चमत्कार हुआ, जब तीन साल से लापता और मृत समझी जा चुकी महिला अपने भाई से फिर मिल गई। भरतपुर के अपना घर आश्रम में हुई इस भावनात्मक मुलाकात ने दीपावली की खुशियों को दोगुना कर दिया।

आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के महासमुद्रम गांव की रहने वाली सीमा उर्फ गुवल्ला सुबम्मा मानसिक रूप से कमजोर थी। तीन वर्ष पहले वह अचानक घर से लापता हो गई थीं। परिवार ने मंदिरों, शहरों और आस-पास के इलाकों में खूब तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। धीरे-धीरे परिवार ने उसे मृत मान लिया और त्योहारों की खुशियां उनके घर से गायब हो गईं।

लेकिन नियति ने कुछ और ही लिखा था। 24 मार्च 2024 को सीमा को जोधपुर से भरतपुर स्थित 'अपना घर आश्रम' में लाया गया था। वहां उन्हें चिकित्सा और देखभाल के लिए भर्ती कराया गया। महीनों की सेवा, स्नेह और उपचार के बाद जब सीमा का स्वास्थ्य सुधरा, तो उन्होंने अपने गांव और परिवार का नाम बताया। आश्रम की पुनर्वास टीम ने तुरंत आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के महासमुद्रम गांव के मुखिया से संपर्क किया और परिवार को खबर दी।

दीपावली के दिन जब भाई पैद्दा पोलईया को पता चला कि उनकी बहन जीवित है, तो खुशी से आंखें भर आईं। अगले ही दिन, यानी भाई दूज पर वे भरतपुर पहुंचे। जैसे ही सीमा ने अपने भाई को देखा, दोनों की आंखों से आंसू बह निकले। भाई-बहन एक-दूसरे से लिपटकर देर तक रोते रहे। वहां मौजूद हर व्यक्ति उस भावनात्मक क्षण में भावविभोर हो उठा। बहन ने रोली से तिलक किया, मिठाई खिलाई और कहा कि अब मैं कहीं नहीं जाऊंगी भाई।

भाई पैद्दा पोलईया ने बताया कि सीमा के तीन बच्चे हैं। दो बेटियां और एक बेटा। अब वह अपने परिवार के साथ ही रहेंगी। अपना घर आश्रम के सचिव बसंतलाल गुप्ता ने बताया कि सीमा की पुनर्वास प्रक्रिया पूरी कर उन्हें सुरक्षित उनके परिवार को सौंप दिया गया है।


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