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नगर निगम का पावर सेंटर : जेई से एई बन छह साल से जमे हैं अजीत, झांसी हो चुका ट्रांसफर, शासनादेश के बावजूद नहीं हुये रिलीव

नगर निगम में शासन के आदेशों की किस तरह अनदेखी की जा रही है। इसका ताजा उदाहरण हैं सहायक अभियंता जल अजीत कुमार। शासन द्वारा पदोन्नति के साथ झांसी स्थानांतरित किए गए सहायक अभियंता अजीत कुमार को अब तक कार्यमुक्त नहीं किया गया है।

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सहायक अभियंता अजीत कुमार (फोटो सोर्स: पत्रिका)

बरेली। नगर निगम में शासन के आदेशों की किस तरह अनदेखी की जा रही है। इसका ताजा उदाहरण हैं सहायक अभियंता जल अजीत कुमार। शासन द्वारा पदोन्नति के साथ झांसी स्थानांतरित किए गए सहायक अभियंता अजीत कुमार को अब तक कार्यमुक्त नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, आरोप है कि उन्होंने अपने साझेदारों की फर्मों को वित्तीय अनियमितता में करोड़ों का भुगतान कर डाला। लेकिन किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं जो अजीत कुमार को बरेली से झांसी के लिये कार्यमुक्त कर दे।

उत्तर प्रदेश शासन के नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव गुरु प्रसाद ने 17 अक्टूबर 2025 को सभी नगर आयुक्तों को आदेश जारी किया था कि जिन अधिकारियों का पदोन्नति के साथ स्थानांतरण हुआ है, उन्हें तत्काल कार्यमुक्त किया जाए। परंतु नगर निगम बरेली के अफसरों ने इस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इससे यह साफ झलकता है कि कहीं न कहीं कुछ तो पक रहा है।

अजीत कुमार पर गंभीर आरोप, फर्मों को कराया करोड़ों का भुगतान

अजीत कुमार ने दीपावली से पहले तीन फर्मों को करीब ढाई करोड़ रुपये का भुगतान करवाया। इन फर्मों में उनकी साझेदारी और अप्रत्यक्ष स्वामित्व होने के आरोप लगाए गए हैं। बताया जा रहा है कि इन फर्मों के अनुभव प्रमाणपत्र भी फर्जी हैं। ऐसे अधिकारी का ट्रांसफर रोकने के लिये नगर निगम के बोर्ड प्रस्ताव पास कर दिया। कहा कि उन्हें बरेली में ही रोका जाये। हालांकि शासन ने नगर निगम बोर्ड का प्रस्ताव खारिज कर दिया है।

बोर्ड का प्रस्ताव खारिज करने के बाद भी चालू रही ‘खेल’की मशीन

नगर निगम बोर्ड ने अजीत कुमार को रोकने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, जिसे शासन ने खारिज कर दिया, परंतु इसके बावजूद अजीत कुमार बरेली में ही जमे रहे और अपने रसूख से सिस्टम को ठेंगा दिखाते रहे। सुभाषनगर में नई बस्ती निवासी राजवीर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच और मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि जांच की गई तो कई बड़े नाम इस भ्रष्टाचार में उजागर होंगे। सवाल उठ रहे हैं कि जब मुख्यमंत्री स्वयं भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बात करते हैं, तो बरेली नगर निगम जैसे मामलों में स्पष्ट आदेशों की अवहेलना क्यों हो रही है। शासन के आदेश का पालन न करना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की खुली पैरवी है।

अधिकारी रिलीव नहीं कर रहे तो मैं क्या करूं

इस मामले में सहायक अभियंता अजीत कुमार ने बताया कि मेरा ट्रांसफर झांसी हो गया है। मुरादाबाद से एक अधिकारी को बरेली आना है। वह अभी आये नहीं है। अधिकारी मुझे रिलीव नहीं कर रहे हैं। मैं तो कई बार कह चुका हूं कि मुझे कार्यमुक्त कर दो, लेकिन नगर निगम बरेली के अधिकारी मुझे कार्यमुक्त नहीं कर रहे हैं। जिन फर्मों को भुगतान किया गया है। उनसे मेरा कोई लेना देना नहीं है। नगर निगम में जो ठेकेदार काम कर रहे हैं। उनका रुटीन में नियमानुसार भुगतान होता है।


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