
प्लाईवुड फैक्ट्रियों को मिल रही यूरिया, किसान लाइन में लाठियां खा रहे (फोटो सोर्स: पत्रिका)
बरेली। एक ओर जहां किसान धान और गन्ने की फसल को लेकर खेतों में पसीना बहा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें यूरिया खाद के लिए लाइन में लगकर लाठियां तक खानी पड़ रही हैं। इसके विपरीत, बरेली के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित प्लाईवुड फैक्ट्रियों को धड़ल्ले से यूरिया उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे किसानों में भारी आक्रोश है।
किसानों ने आरोप लगाया कि उन्हें गोदामों से यूरिया खाद लेने के लिए आधार कार्ड, खतौनी और नैनो यूरिया या जिंक लेने की शर्त पूरी करनी होती है। इसके बाद भी जरूरत भर की यूरिया नहीं दी जाती। जबकि प्लाईवुड फैक्ट्रियों में, जहां यूरिया का उपयोग केमिकल को नष्ट करने में होता है, वहां मनमाने ढंग से खाद की आपूर्ति हो रही है।
रसुईया निवासी नीरज मिश्रा ने बताया, “एक आधार कार्ड पर एक ही कट्टा यूरिया दिया जा रहा है। यदि तीन कट्टे चाहिए तो साथ में नैनो यूरिया और जिंक या जैम लेना अनिवार्य है। जबकि फैक्ट्री संचालक अधिक पैसे देकर सीधे ट्रक भर यूरिया ले जाते हैं।”
इकबाल (ग्राम केसरपुर खमरिया) ने कहा, “खाद बिना धान मुरझा रही है, परंतु गोदाम वाले सिर्फ शर्तों की बंदिशें थोप रहे हैं। वहीं फैक्ट्रियों को बिना किसी कागज के खुलेआम यूरिया दी जा रही है।”
रसुईया के अनिल मिश्रा का कहना है, “किसानों को परेशान करने की साजिश हो रही है। यूरिया न देकर जबरन नैनो खाद और अन्य उत्पाद लेने पर मजबूर किया जा रहा है।”
बरेली के इंडस्ट्रियल एरिया में आधा दर्जन से अधिक प्लाईवुड फैक्ट्रियां हैं, जिनमें यूरिया का इस्तेमाल वेस्ट मैटेरियल को डायजेस्ट करने में होता है। किसानों का आरोप है कि इन्हीं फैक्ट्रियों को चोरी-छिपे भारी मात्रा में यूरिया की आपूर्ति की जा रही है। हालांकि, इस आरोप को गोदाम प्रभारी जीवन सिरोही ने सिरे से खारिज किया है।
रिठौरा स्थित प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र पर गुरुवार को 300 कट्टे यूरिया खाद का वितरण किया गया। गोदाम प्रभारी जीवन सिरोही ने दावा किया कि गोदाम में खाद की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि "कुछ किसान अधिक खाद मांगते हैं, लेकिन उन्हें समझाकर वितरण किया जाता है।"
हालांकि किसानों का कहना है कि “एक एकड़ पर सिर्फ एक कट्टा खाद देना न्याय नहीं है।” किसानों की मांग है कि यूरिया का पर्याप्त और निर्बाध वितरण हो, ताकि फसलें बर्बाद न हों।
इस पूरे प्रकरण में कृषि विभाग और प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही खाद की आपूर्ति व्यवस्थित नहीं हुई, तो वे प्रदर्शन और आंदोलन की राह अपनाएंगे।
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Published on:
18 Jul 2025 10:55 am
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