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‘सुप्रीम कोर्ट का अपमान करने वाले सत्ता के हकदार नहीं’, तेजस्वी पर बरसे शहाबुद्दीन रजवी

मौलाना रजवी ने कहा कि वक्फ (संशोधन) कानून पहले लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से पारित हुआ है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसमें किए गए संशोधनों पर मुहर लगाई है। इसे फाड़कर फेंकने की बात कैसे कही जा सकती है।

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तेजस्वी पर बरसे शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी, PC-IANS

बरेली : जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे नेताओं के विवादित बयान भी सुर्खियों में हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा केंद्र सरकार के ‘वक्फ (संशोधन) कानून’ को फाड़कर फेंकने वाले बयान पर आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति संसद में पारित कानून को फाड़ने की बात करे और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का अपमान करे, वह देश के लोकतंत्र और संविधान का अपमान करता है। ऐसे व्यक्ति को सत्ता पाने का कोई हक नहीं है।

मौलाना रजवी ने कहा कि वक्फ (संशोधन) कानून पहले लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से पारित हुआ है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसमें किए गए संशोधनों पर मुहर लगाई है। इसलिए इस कानून को फाड़ने की बात न सिर्फ संसद, बल्कि देश की न्याय व्यवस्था का अपमान है।

उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव उन लोगों का समर्थन कर रहे हैं जिन्होंने वक्फ की संपत्तियों पर नाजायज कब्जा कर रखा है। इन जमीनों से जो आय गरीब मुसलमानों के भले के लिए खर्च होनी चाहिए, वह भू-माफिया अपनी जेब में डाल रहे हैं।

मौलाना ने कहा कि तेजस्वी यादव वक्फ की हकीकत से अनजान हैं और सिर्फ चुनावी फायदा पाने के लिए भड़काऊ बयान दे रहे हैं। जो व्यक्ति शरीफ लोगों को धमकी देता है और कानून तोड़ने की बात करता है, वो देश की एकता और न्याय व्यवस्था के लिए खतरा है।

ज्ञात हो कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में राजद नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने कहा, ''अगर इंडी गठबंधन सत्ता में आता है तो हम वक्फ अधिनियम को कूड़ेदान में फेंक देंगे।'

गौरतलब है कि, वक्फ (संशोधन) अधिनियम अप्रैल में संसद से पारित हुआ था। सत्ता पक्ष ने इसे पिछड़े मुसलमानों और समुदाय की महिलाओं के लिए पारदर्शिता और सशक्तीकरण का माध्यम बताया है, जबकि विपक्ष का आरोप है कि यह मुसलमानों के अधिकारों को प्रभावित करता है। तेजस्वी के इस बयान के बाद न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, बल्कि धार्मिक संगठनों से भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।


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