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अंता उपचुनाव: कांग्रेस ने चला नया दांव, पूर्व मंत्री अशोक चांदना को क्यों सौंपी कमान? क्या BJP की रणनीति होगी फेल?

Anta Assembly By-election: राजस्थान के अंता विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने इस उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

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former minister Ashok Chandna

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Anta Assembly By-election: राजस्थान के अंता विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने इस उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी ने पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता अशोक चांदना को चुनाव प्रभारी बनाकर एक मजबूत रणनीतिक दांव खेला है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने 36 नेताओं की टीम गठित की है, जो मंडल स्तर से लेकर ग्राम पंचायत तक हर स्तर पर रणनीति को लागू करने में जुटी है।

दरअसल, कांग्रेस की इस रणनीति से अंता उपचुनाव में कांटे की टक्कर मानी जा रही है। सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस की यह रणनीति बीजेपी के चुनावी दांव को नाकाम कर पाएगी?

चांदना को प्रभारी बनाने का मास्टरस्ट्रोक

कांग्रेस ने अंता उपचुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए अनुभवी और प्रभावशाली नेता अशोक चांदना को प्रभारी नियुक्त किया है। चांदना हाड़ौती के कद्दावर नेता माने जाते हैं, कांग्रेस पार्टी के लिए उनकी संगठनात्मक क्षमता और क्षेत्र में जनता के बीच लोकप्रियता भी महत्वपूर्ण है।

चांदना का राजस्थान की राजनीति में लंबा अनुभव रहा है और वे पहले भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। उनकी नियुक्ति से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है। चांदना की रणनीति बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने और मतदाताओं को लुभाने की दिशा में केंद्रित है।

मंडल स्तर पर मजबूत रणनीति

कांग्रेस ने उपचुनाव में सूक्ष्म स्तर पर काम करने के लिए मंडलवार प्रभारियों की नियुक्ति की है। पार्टी ने विधायक सीएल प्रेमी और चेतन पटेल कोलाना को सह-प्रभारी बनाया है, जो चांदना के नेतृत्व में काम करेंगे। इसके अलावा, विभिन्न मंडलों और नगर पालिकाओं में प्रभारियों की नियुक्ति की गई है, ताकि हर क्षेत्र में पार्टी की मौजूदगी मजबूत हो।

वहीं, मांगरोल नगर पालिका की जिम्मेदारी पुष्पेंद्र भारद्वाज को सौंपी गई है, जबकि अंता नगर पालिका का प्रभार पूर्व विधायक पानाचंद मेघवाल संभालेंगे। सीसवाली नगर पालिका की कमान वीरेंद्र सिंह गुर्जर के हाथों में होगी। बमला मंडल में सुधींद्र मूंड, हरि सिंह मीणा, नेमीचंद मीणा और गिर्राज नागर को जिम्मेदारी दी गई है।

कोयला मंडल में सत्येश शर्मा, बोहत मंडल में ओम नारायणीवाल और दुर्गा शंकर मीणा, बमोरीकलां मंडल में शिवराज गुंजल और एडवोकेट महावीर मीणा को प्रभारी बनाया गया है। सीसवाली मंडल की कमान महावीर मीणा और प्रवीण व्यास के पास होगी, जबकि पलायथा मंडल में भैरू सिंह परिहार और बृजेश शर्मा नीटू जिम्मेदारी संभालेंगे।

बिजोरा मंडल में शिवकांत नंदवाना और चंद्रसेन मीणा, बालदड़ा मंडल में रणदीप त्रिवेदी और दीनबंधु शर्मा, तथा सोरसन मंडल में यशवीर शूरा और टीकम जैन को प्रभारी नियुक्त किया गया है।

महिला और माइनॉरिटी वोटरों पर विशेष ध्यान

कांग्रेस ने उपचुनाव में महिला और माइनॉरिटी वोटरों को जोड़ने के लिए विशेष रणनीति बनाई है। महिला जनसंपर्क की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री शकुंतला रावत, विधायक शिखा मील बराला, महिला कांग्रेस की सारिका सिंह, पूनम गोयल, राखी गौतम और प्रीति शक्तावत को सौंपी गई है। इन नेताओं का लक्ष्य महिला मतदाताओं के बीच पार्टी की नीतियों और उपलब्धियों को प्रचारित करना है।

वहीं, माइनॉरिटी वोटरों को जोड़ने की जिम्मेदारी एमडी चौपदार और अमीन पठान को दी गई है। ग्राम पंचायत स्तर पर राजीव चौधरी प्रभारी होंगे। संगठन महासचिव ललित तूनवाल ने इन नियुक्तियों के आदेश जारी किए हैं।

बीजेपी की रणनीति को चुनौती

इधर, अंता उपचुनाव में बीजेपी भी अपनी पूरी ताकत लगा रही है। बीजेपी ने पहले से ही क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई रणनीतियां बनाई हैं। हालांकि, कांग्रेस की यह नई रणनीति और अशोक चांदना जैसे अनुभवी नेता की नियुक्ति बीजेपी के लिए चुनौती बन सकती है।

बताते चलें कि चांदना की संगठनात्मक क्षमता और स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की उनकी रणनीति बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। कांग्रेस ने मंडल स्तर पर प्रभारियों की नियुक्ति के जरिए हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी सुनिश्चित की है, जिससे बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है।

राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण पड़ाव

अंता उपचुनाव राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस उपचुनाव का असर राज्य की सियासत पर भी पड़ेगा। कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक बड़ा अवसर है, वहीं बीजेपी इसे अपनी साख बचाने के लिए महत्वपूर्ण मान रही है। दोनों पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।

कांग्रेस की रणनीति में स्थानीय मुद्दों पर फोकस, महिला और माइनॉरिटी वोटरों को जोड़ने की कोशिश, और मंडल स्तर पर संगठन को मजबूत करना शामिल है। वहीं, बीजेपी अपने परंपरागत वोट और वर्तमान सरकार के विकास कार्यों के दम पर वोट मांग रही है।

अंता में रोमांचक मुकाबले की उम्मीद

अंता विधानसभा सीट पर 27 अक्टूबर को नामांकन वापसी के बाद उपचुनाव की तस्वीर स्पष्ट हो गई है। अंतिम दिन बीजेपी के पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल सहित 5 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लिया। अंता में आमतौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता है, लेकिन कांग्रेस के बागी नरेश मीणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। अब कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया, बीजेपी के मोरपाल सुमन और निर्दलीय नरेश मीणा के बीच मुख्य टक्कर मानी जा रही है।