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‘मां खेत में घास बहुत हो गई है मैं साफ करके जल्दी आता हूं’… युवक का सिर जबड़े में दबा बाघ ने मार डाला

बहराइच में भेड़िए के आतंक के बाद बाघ ने आतंक मचा रखा। बाघ ने रविवार दोपहर एक युवक को मारा डाला। युवक खेत में घास साफ करने के लिए गया हुआ था।

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बहराइच : उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में बाघ ने एक और बेकसूर जिंदगी छीन ली। कतर्निया घाट वन्यजीव प्रभाग के सुजौली रेंज में रमपुरवा मजरा मुखिया गांव के 21 वर्षीय युवक संजीत कुमार पर सरयू नहर किनारे से निकलकर बाघ ने हमला कर दिया। बाघ ने युवक का सिर जबड़ों में दबाकर खेत में खींच लिया और चेहरे व सीने पर गहरे घाव कर दिए। आसपास के लोगों के शोर मचाने पर बाघ भाग गया, लेकिन तब तक संजीत की सांसें थम चुकी थीं। परिवार ने बाइक पर ही शव को मिंहीपुरवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इलाके में बाघों के हमलों से त्रस्त ग्रामीणों ने प्रशासन पर कार्रवाई में लापरवाही का आरोप लगाया है।

रविवार दोपहर करीब 2 बजे संजीत अपने घर से महज 1 किलोमीटर दूर हल्दी के खेत में घास काटने गया था। पिता जुसे चौधरी के साथ खेती-किसानी में हाथ बंटाने वाला संजीत ने मां से कहा था, 'घास की सफाई करके जल्दी लौट आऊंगा।' लेकिन सरयू नहर के किनारे से अचानक बाघ प्रकट हो गया। प्रत्यक्षदर्शी अमित साहनी ने बताया, 'मैं अपने खेत में काम कर रहा था। संजीत से महज 50 मीटर दूर उसके चीखने की आवाज आई। मुड़कर देखा तो बाघ उसके सिर को जबड़ों में दबाए खींच रहा था। मैंने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया, तो बगल के लोग दौड़े। शोर सुनकर बाघ संजीत को छोड़कर जंगल की ओर भाग गया।'

लोगों ने तुरंत संजीत के परिवार को सूचना दी। एम्बुलेंस आने में देरी होने पर ग्रामीणों ने बाइक पर ही घायल युवक को मिंहीपुरवा CHC ले जाया। वहां डॉक्टरों ने सिर, चेहरे और सीने पर गहरे पंजे व दांत के निशान देखकर मृत्यु की पुष्टि की। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है।

घर का इकलौता कमाऊ बेटा था संजीत

संजीत का परिवार 1980 में झारखंड से बहराइच आकर बस गया था। पिता जुसे चौधरी खेती-किसानी से गुजारा चलाते हैं। घर में पत्नी फूलमती, पांच बेटे और दो बेटियां हैं। संजीत चौथे नंबर का बेटा था, जिसने इसी साल इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। वह परिवार का मुख्य सहारा था और रोजाना खेतों में पिता की मदद करता।

मां फूलमती की आंखों में आंसू हैं। उन्होंने रोते हुए कहा, 'दोपहर में हम सबने साथ बैठकर खाना खाया था। बेटा बोला, 'मां, खेत में घास बहुत हो गई है, सफाई करके तुरंत आता हूं।' मुझे क्या पता था कि वह हमें हमेशा के लिए छोड़कर चला जाएगा। जब खेत पहुंचे तो मेरा लाल खून से लथपथ पड़ा था।" मां शव देखते ही बेहोश हो गईं। परिवार अब प्रशासन से मुआवजे और सुरक्षा की मांग कर रहा है।

पल भर में झपट ले गया बाघ

अमित साहनी, जो घटनास्थल पर काम कर रहे थे, ने बताया, 'बाघ ने संजीत को इतनी बुरी तरह नोचा कि देखते ही रूह कांप गई। हमने घरवालों को फोन किया, लेकिन एम्बुलेंस लेट होने से बाइक पर ही अस्पताल ले गए। रास्ते भर लगा कि शायद बच जाए, लेकिन डॉक्टर ने कहा तो सब टूट गए।' अमित ने इलाके की समस्या पर नाराजगी जताई, 'हर साल बाघ के हमले में जिंदगियां जा रही हैं, लेकिन वन विभाग या प्रशासन सो रहा है।'

कतर्निया घाट और सुजौली रेंज में बाघों के हमले कोई नई बात नहीं। पिछले कुछ सालों में दर्जनों लोग शिकार हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल से निकलने वाले बाघों के लिए नहर किनारे घास काटना जानलेवा हो गया है। एक ग्रामीण ने कहा, 'प्रशासन केवल मुआवजा देता है, लेकिन जिंदगियां बचाने का कोई इंतजाम नहीं। हमें तत्काल बाघों को पकड़ने या बाड़ लगाने की जरूरत है।' किसान संगठनों ने सोमवार को विरोध मार्च निकालने की चेतावनी दी है।