Rahu remedies: सूर्य, शनि, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, केतु हों या राहु, हर ग्रह के खास गुण होते हैं और ये एक ही समय में किसी को अच्छा फल देते हैं तो किसी को बुरा।
इनमें राहु सबसे उत्पाती ग्रह माना जाता है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में आमूलचूल बदलाव ला सकता है, खास कर राहु अशुभ फल देने पर आए तो खून के आंसू रूलाता है।
राहु यात्रा और धार्मिक यात्राओं का भी कारक है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार वैसे तो राहु को किसी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च और धनु राशि में नीच भाव में होता है।
छाया ग्रह राहु 27 नक्षत्रों में आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। चंद्रमा जब सूर्य पृथ्वी के बीच और जब चंद्रमा का मुंह सूर्य की तरफ होता है तो पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया राहु ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।
कूटनीतिक कार्य, राजनीति, आखेट, कानून से सबंधित कार्य, सेवा, बुरे कर्म, चोरी, जादूगर, हिंसा आदि का प्रतिनिधित्व राहु करता है। वहीं मांस, शराब, गुटका, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट और अन्य मादक पदार्थ राहु से जुड़े हैं।
जहरीले जीव और काले या भूरे रंग के पशु पक्षी राहु का प्रतिनिधित्व करते हैं। नागरमोथ की जड़ और गोमेद रत्न राहु को मजबूत करता है। इसका प्रिय रंग गहरा नीला है।
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Ashubh Rahu Ke Lakshan: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु अशुभ फल देता है तो चोरी, दुष्ट कर्म की ओर प्रवृत्त करता है, यह व्यक्ति में त्वचा रोग जैसी समस्याएं बढ़ाता है। यह व्यक्ति कि वाणी को कठोर कर देता है, लोगों को भ्रमित कर जुआ की ओर प्रेरित करता है। अगर आपके या घर के किसी सदस्य के जीवन में ये लक्षण दिख रहे हैं तो ये अशुभ राहु के संकेत हो सकते हैं।
durga mantra: प्रायः 42 साल की उम्र के बाद राहु से अच्छे परिणम मिलते हैं। मां दुर्गा ही राहु को नियंत्रित कर सकती हैं। इसलिए व्यक्ति को हमेशा मां दुर्गा के या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं दुर्गा देव्यै नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
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Updated on:
02 Dec 2024 10:53 am
Published on:
29 Nov 2024 06:20 pm