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बच्चों में निमोनिया के केस बढ़े, एक माह में 6 की मौत

जिला चिकित्सालय में एक सप्ताह में 300 से अधिक बच्चे उपचार के लिए लाए गए, 55 को किया भर्ती

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बच्चों में सर्दी, खांसी बुखार के साथ ही निमोनिया के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बीते एक माह से जिला चिकित्सालय में इन बीमारियों से ग्रसित बच्चों को लेकर परिजन पहुंच रहे हैं। ओपीडी आईपीडी के साथ ही पीआईसीयू में भी सभी बेड फुल हैं और लगातार नए केस सामने आ रहे हैं। बीते एक माह में निमोनिया से छह बच्चों की मौत हो चुकी है। जिला चिकित्सालय में गंभीर रूप से ग्रसित बच्चों को उपचार के लिए पीआईसीयू में दाखिल किया जा रहा है। सितंबर महीने में 116 बच्चों को उपचार के लिए दाखिल कराया गया था। अक्टूबर महीने में 5 दिनों के भीतर 22 बच्चों को उपचार के लिए दाखिल कराया गया है। इन सभी बच्चों में निमोनिया की शिकायत रही है। उपचार के दौरान बीते महीने पांच शिशुओं की मौत हुई थी। वहीं इस महीने एक शिशु की मौत हो चुकी है। सभी की उम्र 5 वर्ष से कम है।

ज्यादातर में मिल रही निमोनिया की शिकायत

बीते एक सप्ताह में ओपीडी और आईपीडी में भी लगातार 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बीमार बच्चों के केस सामने आ रहे हैं। ज्यादातर बच्चों में निमोनिया की शिकायत सामने आई है। प्रारंभिक तौर पर उपचार होने के बावजूद जिन बच्चों की सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा है उन्हें एडमिट किया जा रहा है। ओपीडी में बीते एक सप्ताह में 300 से अधिक बच्चे उपचार के लिए लाए गए हैं। 55 बच्चों को उपचार के लिए एडमिट किया गया है।

सिरप का वितरण किया बंद, निजी मेडिकल स्टोर्स को भी निर्देश

कफ सिरप से छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत के मामले पर संज्ञान लेते हुए जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने शिशुओं को कफ सिरप वितरण बंद कर दिया है। इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही जिले के निजी मेडिकल स्टोर संचालकों को भी इस तरह के आदेश जारी किए गए हैं कि 10 वर्ष की उम्र तक के किसी भी बच्चे के लिए दुकान से सिरप नहीं दिया जाए।

टॉपिक एक्सपर्ट

डॉक्टर की सलाह पर बच्चों को दें दवाइयां

जिला चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र कुमार खेस ने बताया कि छिंदवाड़ा में हुई घटना के बाद से पेरेंट्स डरे हुए हैं और वह इलाज के लिए पहुंचने पर रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि बच्चों को कफ सिरप ना दिया जाए। जिस दवा के कंपोजीशन को प्रतिबंधित किया गया है उसे नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने पेरेंट्स को सलाह दी है कि बच्चों के बीमार होने पर मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर न दें। चिकित्सक को दिखाने के बाद ही दवा कराएं। वर्तमान में बच्चों में निमोनिया का खतरा बना हुआ है जिसको देखते हुए बच्चों को गर्म पानी पिलाएं, मौसम के अनुसार उन्हें फुल कपड़े पहनाएं और रात में सोते समय पंखे या कूलर का उपयोग न करें।