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चारों तरफ आस्था का सैलाब, फिजां में गूंज रहे गिरिराज महाराज के जयकारे

गोवर्धन पूजा विशेष: किसी कारणवश यदि आप गिरिराज जी का आशीर्वाद लेने नहीं जा पाए, तो घर बैठे कीजिए दर्शन

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लाइव रिपोर्ट: गोवर्धन से हरमिंदर लूथरा

शाम के 4 बजने को हैं और मैं इस समय दानघाटी मंदिर के सामने खड़ा हूं। मंदिर के अंदर भीड़ इतनी ज्यादा है कि पैर रखने को जगह नहीं बची है। भीड़ से बचने के लिए कई श्रद्धालु सड़क पर खड़े होकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं और वहां लगी दानपेटियों में पैसा डाल रहे हैं। इस मंदिर के सामने से गुजर रही सड़क पर वाहनों की नो-एंट्री के बावजूद लंबा जाम लगा हुआ है। यहां से मुझे चारों तरफ आस्था का सैलाब नजर आ रहा है। अलग-अलग प्रदेशों के अनगिनत चेहरे। कोई गुजरात से आया है तो कोई राजस्थान, महाराष्ट्र और हरियाणा से।

उत्तरप्रदेश के लोग तो हैं ही, क्योंकि यह धार्मिक स्थल इसी प्रदेश का हिस्सा है। कई राज्यों के श्रद्धालु यहां आए हैं। इसलिए यह धार्मिक स्थल मिनी-भारत जैसा नजर आ रहा है। जहां तक मेरी नजर जा रही है, वहां-वहां मुझे माथे पर राधे-राधे लिखे लोग नजर आ रहे हैं। हर उम्र और वर्ग के लोग इस भीड़ में शामिल हैं। कोई मन्नत मांगने आया है तो कोई मन्नत पूरी होने पर गिरिराज जी का आभार जताने।

पार्किंग के बाहर भी वाहन

यहां कई लोग अपने-अपने वाहनों से आए हैं। जगह-जगह पार्किंग की व्यवस्था तो है, लेकिन पार्किंग के बाहर तक वाहन खड़े हैं। डीग चुंगी के पास स्थित पार्किंग के बाहर खड़ा एक गार्ड तो दूर से ही इशारा कर रहा है कि अंदर जगह नहीं है। अपनी गाड़ी अन्य किसी पार्किंग में ले जाओ। दानघाटी के समीप गोवर्धन पुलिस थाने के बाहर तैनात कांस्टेबल दीनदयाल कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में यहां इतनी ज्यादा गाड़ियां आ जाती हैं कि पैदल चलने वालों के लिए जगह ही नहीं बचती। सबसे ज्यादा श्रद्धालु गुजरात से आते हैं।

भीड़ के सामने बेबस पुलिस-प्रशासन

बस स्टैंड के समीप चाय की थड़ी पर चाय की चुस्की लेते हुए मैंने दुकानदार पूरणसिंह से बात की। पूरणसिंह ने बताया कि हर साल दिवाली के अगले दिन देशभर के लोग यहां गिरिराज महाराज के दर्शन करने आते हैं। इस बार दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का गेप रहा। इसके बावजूद लोग मंगलवार को ही यहां पहुंच गए थे। वैसे तो यहां सालभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन गोवर्धन पूजा और गुरु पूर्णिमा मेले में इतनी ज्यादा भीड़ उमड़ती है कि स्थानीय पुलिस-प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं फेल हो जाती हैं। भीड़ के सामने पुलिस-प्रशासन भी कुछ नहीं कर पाता।

बृज की माटी हर साल यहां खींच लाती है

गुजरात के जामनगर से आए प्रेम भाई पटेल बताते हैं कि हमारा परिवार हर साल गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी का आशीर्वाद लेने यहां आता है। यह सिलसिला हमारे दादाजी के समय से शुरू हुआ था। इसी तरह गुजरात के अहमदाबाद में कपड़े के व्यापारी राजन भाई बताते हैं कि मैं अपने पूरा परिवार के साथ यहां हाजिरी लगाने आया हूं। यहां से कल हम मथुरा जाएंगे, फिर वृंदावन और बरसाना।

बृज की माटी ही कुछ ऐसी है। हर साल हमें यहां खींच लाती है। हरियाणा के पानीपत से आए राजेन्द्र जाट बताते हैं कि मैं पिछली बार दोस्तों के यहां गोवर्धन आया था। यहां से लौटकर परिवार वालों को यहां के बारे में बताया तो तभी से यहां आने का कार्यक्रम तय हो गया था। इस बार पूरे परिवार के साथ गिरिराज जी दर्शन करने आया हूं।

होटल-धर्मशाला हाउस फुल, सरकारी बसें नाकाफी

पूरे गोवर्धन में आज एक भी होटल-धर्मशाला खाली नहीं है। राजस्थान व उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों की रोडवेज ने अतिरिक्त बसें चलाई हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ के आगे यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। स्पेशल ट्रेनें भी यात्रियों का बोझ ठीक से नहीं उठा पा रहीं।


जगह-जगह अन्नकूट, भक्तों की मनुहार

सात कोस के परिक्रमा मार्ग समेत पूरे गोवर्धन कस्बे में बुधवार को जगह-जगह अन्नकूट महोत्सव का आयोजन हो रहा है। प्रसादी के रूप में भक्तों को अन्नकूट खिलाने की होड़ मची हुई है। अन्नकूट का आयोजन करने वाली धार्मिक संस्थाएं व परिवार आते-जाते श्रद्धालुओं से प्रसादी लेने की मनुहार कर रहे हैं। कई जगह दाल-बाटी-चूरमा, पूरी-सब्जी व पूरी-हलवा बांटा जा रहा है। कई घरों के बाहर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनी हुई है। परिक्रमा मार्ग पर हरिनाम संकीर्तन की गूंज सुनाई दे रही है।