जिला परिषद अलवर। फोटो: पत्रिका
Panchayati Raj Clerk Recruitment 2022 पंचायती राज लिपिक भर्ती 2022 में अलवर जिला परिषद की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल उठे हैं। अलवर जिला परिषद में तैनात अफसरों और कर्मचारियों ने अपने ही विभाग से जारी परिपत्रों की जमकर धज्जियां उड़ाई। यही कारण रहा कि अपात्रों को भी लिपिक बना दिया। ऐसे ही दो और केस सामने आए हैं। इनकी शिकायत सरकार को भेजी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश यशपाल बनाम छत्तीसगढ़ में यह साफ किया गया था कि दूरस्थ शिक्षा से राज्य के बाहर के ऑफ कैंपस स्टडी चलाने वाले संस्थानों से जारी कंप्यूटर प्रमाण पत्र मान्य नहीं होगा। इसके अलावा डीम्ड यूनिवर्सिटी से जारी कंप्यूटर प्रमाण पत्र भी मान्य नहीं होगा। इसका आदेश तत्कालीन शासन सचिव नवीन महाजन ने वर्ष 2017 में ही जारी कर दिया था, बावजूद इसके जिला परिषद ने वर्ष 2022 में पंचायती राज विभाग और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उडाकर ऑफलाइन आवेदन करने वाले दो अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी। एक की तैनाती पंचायत समिति रामगढ़ में की गई।
इसी तरह वर्ष 2008 से 2013 तक जिला परिषद भरतपुर में संविदा पर कार्यरत रही एक महिला को भी लिपिक बना दिया गया। वर्ष 2013 में फॉर्म भरते समय कंप्यूटर की डिग्री मेघालय के शिक्षण संस्थान की बताई और दस्तावेज सत्यापन के समय नेशनल काउंसलिंग इंडिया स्किल की डिग्री प्रस्तुत की। इस पर दस्तावेज सत्यापन दल ने आपत्ति लगाई तो कंप्यूटर की तीसरी डिग्री श्रम विभाग फरीदाबाद से जारी की हुई प्रस्तुत कर दी और उसे नौकरी दे दी गई। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। अब सरकार को फिर से मामले भेजे जा रहे हैं।
Published on:
07 Oct 2025 11:11 am
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