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Rajasthan: अशोक गहलोत का BJP पर तंज, स्वास्तिक नगर आने पर इनको क्यों हुई तकलीफ?

अजमेर के स्वास्तिक नगर का दौरा करने पर भाजपा कार्यकर्ताओं की नारेबाजी से नाराज़ पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने पलटवार करते हुए सवाल किया कि मेरे आने से इनको तकलीफ क्यों?

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Ashok-Gehlot
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प्रेस कॉन्फ्रेंस करते पूर्व सीएम अशोक गहलोत। फोटो:​ पत्रिका

अजमेर। अजमेर दौरे के दूसरे दिन पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा कार्यकर्ताओं की नारेबाजी पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने पूछा कि स्वास्तिक नगर आया तो इनको तकलीफ क्यों हुई? यहां एक नया ही सिस्टम देखा। ज​बकि स्थानीय लोग कर रहे थे कि यहां अभी तक कोई बड़ा नेता नहीं आया है।

जयपुर रवाना होने से पहले पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने रविवार सुबह 9 बजे अजमेर के सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान गहलोत ने कहा कि बोराज तालाब की पाल टूटने से जलमग्न स्वास्तिक नगर में हमने औरतों की आंखों में आंसू देखे। ऐसा सीन कम ही देखा है, यहां लोगों का हाल जानने आए। फिर भी बीजेपी वालों ने हमारे खिलाफ नारेबाजी की। बीजेपी और इनके च​रित्र में फर्क है। आखिर स्वास्तिक नगर आने से इन लोगों को क्या तकलीफ है।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसा माहौल बना दिया कि मैं यहां आया ही क्यों हूं। लेकिन, जैसे ही जनता के बात समझ में आई तो बाहर के लोग भाग गए। फिर रास्ते में खड़े होकर कुछ लोग नारेबाजी करने लगे। यहां एक नया ही सिस्टम देखा। ज​बकि स्थानीय लोग कर रहे थे कि यहां अभी तक कोई बड़ा नेता नहीं आया है।

आपदा के समय लोगों को मिले मदद

गहलोत ने क​हा कि यह आपदा का समय है, लोगों को पूरी तरह मदद मिलनी चाहिए। सर्वेक्षण भी व्यापक होना चाहिए। सभी को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। मैंने किसी पर आरोप नहीं लगाया है। मैंने मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और कलेक्टर से बात की।

विपक्ष की आवाज को नहीं दबाए

पूर्व सीएम गहलोत ने कहा कि जितनी आलोचना होगी, काम उतना ही बेहतर होगा। विपक्ष की आवाज सुनी जानी चाहिए, दबाई नहीं जानी चाहिए। हमारा हित जनता में है और हम उनके अधिकारों के लिए लड़ेंगे। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब मेरी भी आलोचना हुई थी। मैं इसे सकारात्मक रूप से लेता था। लोकतंत्र में विपक्ष होता है, तभी सत्ता पक्ष होता है।

विशेष पैकेज घोषित करने की मांग

गहलोत ने कहा कि स्वास्तिक नगर के लोगों की पीड़ा बहुत चिंताजनक है। किस तरह पानी ने तबाही मचाई है वह लोगों के बहते आंसुओं में दिखी है। सरकार और प्रशासन को एक-एक घर का सर्वे कराकर नुकसान का आकलन करना चाहिए। कोई 10-20 या 50 हजार के मुआवजे से लोगों का भला नहीं होगा। लोगों की पीड़ा शब्दों में बयां करना मुश्किल है। सरकार को तुरंत विशेष पैकेज देना चाहिए, ताकि लोगों को कुछ राहत मिले।