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भक्ति, ज्ञान और चरित्र में जीवन का सार : आचार्य सुनील सागर

गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन अहमदाबाद. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर ने गुरुवार को कहा कि भक्ति, ज्ञान और चरित्र में जीवन का सार है।गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आचार्य ने कहा कि एक ही जीव, एक ही आत्मा, एक ही इंसान होते हुए भी कुछ लोग धरती पर रहकर आसमान […]

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गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन

अहमदाबाद. दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर ने गुरुवार को कहा कि भक्ति, ज्ञान और चरित्र में जीवन का सार है।गुजरात यूनिवर्सिटी परिसर में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आचार्य ने कहा कि एक ही जीव, एक ही आत्मा, एक ही इंसान होते हुए भी कुछ लोग धरती पर रहकर आसमान जैसी ऊंचाई प्राप्त कर लेते हैं। वे इतने प्रज्ञावान, उदार और समझदार होते हैं कि उनके साथ रहकर भी हम सच्चे इंसान नहीं बन पाते, जबकि वे हमारे बीच रहकर भगवान बन जाते हैं।
उन्होंने कहा कि यह जीवन हमें एक अवसर देता है। यदि हम इस अवसर को पहचान नहीं पाए, तो यह मौके पर धोखा खाने जैसा है। भक्ति अनंत सुख की तिजोरी की चाबी है। यह पद पाने के लिए नहीं, बल्कि भक्त से भगवान बनने की यात्रा के लिए है। मंदिर जाना केवल दर्शन के लिए नहीं, बल्कि भगवान से रिश्ता बनाने का माध्यम है। उनकी शांत मुद्रा हमें भी चाहिए, उनका घर-सिद्ध शिला हमारा लक्ष्य होना चाहिए। व्यवहार में शब्दों की टोन का भी महत्व है, सही शब्द सही ढंग से बोले जाएं तो कार्य सफल होता है।
आचार्य ने कहा कि भक्ति से ज्ञान, श्रद्धा और सुंदर चरित्र विकसित होता है। अंततः यही भक्ति आत्मा को भगवान बना देती है। आज के दिखावे के दौर में सच्चाई खामोश है, इसलिए सजग रहना आवश्यक है। यही सच्चे इंसान बनने की राह है।