Nirjala Ekadashi Sanyog: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी पर हस्त नक्षत्र, रवि योग, सिद्ध योग बन रहे हैं। इसके अलावा वरीयान और भद्रावास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है।
खास बात यह है कि शुभ अवसर पर भद्रा पाताल में रहेगी। भद्रा का पाताल में रहना शुभ माना जाता है। भद्रा दोपहर 03.31 बजे से अगले दिन सुबह 04.47 बजे तक भद्रा पाताल में रहेगी।
वहीं वरीयान योग का शुभ संयोग सुबह 10.14 बजे से बन रहा है। यह योग बेहद शुभ योग है। मान्यता है कि इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता प्राप्त होती है।
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति किसी कारणवश साल भर एकादशी व्रत नहीं कर पाता, उसे केवल निर्जला एकादशी का व्रत कर ले तो उसे साल भर की एकादशियों का पुण्य फल मिल जाता है। इस दिन जल दान, अन्न दान और गरीबों की सेवा करने का विशेष फल मिलता है।
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एकादशी व्रत: 06 जून
निर्जला एकादशी पारण मुहूर्त : 07 जून की दोपहर 01.43 बजे से शाम 04.30 बजे तक (2 घंटे 46 मिनट)
हरि वासर समाप्त होने का समय : 07 जून की सुबह 11.28 बजे तक
1.सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं, घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें।
2. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें, भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
3. भगवान की आरती करें, भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
4. इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
1.सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म के बाद स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
2. पूरे दिन भगवान स्मरण-ध्यान व जाप करना चाहिए। पूरे दिन और एक रात व्रत रखने के बाद अगली सुबह सूर्योदय के बाद पूजा करके गरीबों, ब्रह्मणों को दान या भोजन कराना चाहिए।
3. इसके बाद खुद भी भगवान का भोग लगाकर प्रसाद लेना चाहिए।
Published on:
05 Jun 2025 05:19 pm