
जर्मन मूल के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप,स्कॉटिश-आयरिश मूल के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस,स्लोवेनिया की मेलानिया नॉस ट्रंप और वेंस की पत्नी भारतीय मूल की उषा। (फोटो: X Handle ali saada.)
Trump remains silent on J.D. Vance's remarks: अमेरिका में हिंदू धर्म और भारतीयों को लेकर अब सरकारी नुमाइंदों के भी नफरती बयान देने से इंडो अमेरिकन कम्युनिटी में गुस्सा उफन रहा है। अमेरिकी सीनेटर जेडी वेंस (J.D. Vance के एक बयान ने देशभर में हलचल मचा दी है। इस बयान में उन्होंने अपनी पत्नी उषा वेंस के हिंदू धर्म को एक "समस्या" बताया था और इसे "ठीक करने" की बात कही थी। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि उन्होंने इसे एक "प्रकृति को ईसाई धर्म की ओर मोड़ने" के रूप में पेश किया। अब इस मामले को लेकर भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख नेता अजय भुटोरिया ने पत्रिका से बातचीत में कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने इस बयान को अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ और उषा वेंस के धर्म के प्रति घोर असम्मान बताया है। अजय भुटोरिया (Ajay Bhutoria) भारतीय-अमेरिकी समुदाय के एक चर्चित नेता हैं और पूर्व राष्ट्रपति बाइडन ( Biden) के एशियाई-अमेरिकियों, मूल हवाई निवासियों और प्रशांत द्वीपवासियों के सलाहकार आयोग के सदस्य भी हैं, उन्होंने सीनटर वेंस के बयान को सख्ती से नकारा। भुटोरिया ने इसे अमेरिकी मूल्यों की बेइज्जती करार दिया और कहा कि यह बयान न केवल उषा वेंस के हिंदू धर्म का अपमान बल्कि धर्मनिरपेक्षता और विविधता की भावना को भी नुकसान पहुंचाता है। (Trump remains silent on J.D. Vance's remarks) इस मामले में डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump)की चुप्पी सवालों के घेरे में है ।
अजय भूटोरिया ने पत्रिका से बातचीत में कहा, “उषा वेंस ने हमेशा अपने पति का साथ दिया है, उन्होंने अपने करियर की बलि दी, तीन बच्चों को जन्म दिया और हर मुश्किल घड़ी में अपने पति के साथ खड़ी रहीं। लेकिन जब उषा की गरिमा की रक्षा करने का समय आया, तो सीनटर वेंस ने उनके धर्म को एक समस्या मान लिया, जिसे ठीक करने की जरूरत है। यह न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह दिखाता है कि वे अपनी पत्नी का सम्मान करने में असफल हैं।”
अजय भुटोरिया ने कहा कि इस बयान ने एक गंभीर संदेश दिया है – “अगर एक शख्स अपने व्यक्तिगत जीवन में अपने परिवार के धर्म का सम्मान नहीं करता, तो वह कैसे एक प्रभावशाली नेता बन सकता है?” भुटोरिया ने यह भी कहा कि यह बयान अमेरिकी समाज के मूलभूत सिद्धांतों, जैसे धार्मिक स्वतंत्रता और पारस्परिक सम्मान के खिलाफ है। उन्होंने बेबाकी से कहा, "यह बयान धार्मिक विविधता को सरेआम नकारने और उन समुदायों का अपमान करने जैसा है जो अमेरिका के सामाजिक ताना-बाना का हिस्सा हैं।"
यह भी देखा गया है कि सीनटर वेंस का बयान उस वक्त आया है जब अमेरिकी राजनीति में धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर गहरी बहस चल रही है। सीनटर वेंस आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भी अपनी किस्मत आज़मा सकते हैं, वे यह बयान उस समय दे रहे हैं जब अमेरिका में MAGA (Make America Great Again) का समर्थन तेजी से बढ़ रहा है। भुटोरिया ने यह भी कहा कि वेंस ने पने राजनीतिक फायदे के लिए अपनी पत्नी के धर्म को निशाना बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि वेंस इस बयान के जरिए MAGA समर्थकों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, जो धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक विविधता की भावना से दूर हैं।
भुटोरिया ने यह भी जोर दिया कि उषा वेंस के धर्म पर इस तरह की टिप्पणियां केवल उनके व्यक्तिगत विश्वासों का ही अपमान नहीं करतीं, बल्कि यह पूरे समुदाय का भी अपमान हैं। भारत और हिंदू धर्म को सम्मान देने की जगह, वेंस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस धार्मिक विश्वास को एक समस्या के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, "उषा वेंस ने अपने पति के लिए बहुत कुछ किया है, उन्हें अपनी प्रतिष्ठित कानूनी करियर को छोड़ना पड़ा, और फिर भी वे इस तरह के अपमान का सामना कर रही हैं। यह न केवल व्यक्तिगत रूप से गलत है, बल्कि यह सार्वजनिक जीवन में धर्म के प्रति असंवेदनशीलता और अपमान दर्शाता है।"
अजय भुटोरिया ने सीनटर वेंस से सार्वजनिक माफी की मांग की है। उन्होंने कहा, “सीनेटर वेंस को फौरन माफी मांगनी चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनका यह बयान केवल एक गलतफहमी थी। उन्हें यह भी घोषणा करनी चाहिए कि वे अपने परिवार के धर्म और संस्कृति का सम्मान करते हैं, चाहे वह हिंदू धर्म हो, या कोई अन्य विश्वास। सच्चे नेता वही होते हैं जो अपने परिवार, समुदाय और समाज के विश्वासों का सम्मान करते हैं।”
भूटोरिया ने यह भी कहा कि, “अमेरिका की ताकत उसकी विविधता में है। धर्म, जाति, संस्कृति और समुदायों का सम्मान ही हमारे देश को मज़बूत बनाता है। हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है जो इस विविधता को न केवल स्वीकार करें, बल्कि उसकी सराहना भी करें।"
इस विवाद ने अमेरिकी राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या सीनटर वेंस को अपने शब्दों के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए? क्या इस तरह के बयान को राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा सकता है? या फिर यह सचमुच अमेरिकी मूल्यों का उल्लंघन है? भूटोरिया की तरह कई नेताओं ने इसे एक गंभीर मुद्दा माना है, जो न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक तौर पर पूरे समुदाय को प्रभावित करता है।
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने जब 2016 में राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वह "प्राउड हिंदू हैं" और उन्हें हिंदू धर्म से कोई समस्या नहीं है, तो यह बयान भारतीय-अमेरिकी समुदाय में चर्चा का विषय बन गया था। अब, सीनटर जे.डी. वेंस के उषा वेंस के हिंदू धर्म पर दिए गए विवादास्पद बयान को लेकर ट्रंप को भी अपना रुख साफ करना चाहिए।
ट्रंप का यह बयान तब काफी सराहा गया था, क्योंकि उन्होंने एक नेता के तौर पर हिंदू धर्म और भारतीय-अमेरिकी समुदाय की महत्वता को पहचाना था। लेकिन अब, जब सीनटर वेंस ने अपनी पत्नी के हिंदू धर्म को एक "समस्या" बताया और इसे "ठीक" करने की बात की, तो यह सवाल उठता है कि ट्रंप इस पर चुप क्यों हैं? क्या उनका रुख अब बदल चुका है, या फिर यह एक राजनीतिक रणनीति है?
जब ट्रंप ने हिंदू धर्म के बारे में यह बात की थी, तब यह संदेश साफ था कि वह भारतीय-अमेरिकी समुदाय के साथ बेहतर रिश्ते रखना चाहते थे। उनके भाषणों में अक्सर हिंदू धर्म की स्वीकार्यता और सम्मान का जिक्र आता था। लेकिन अब जब सीनटर वेंस की टिप्पणियों से हिंदू धर्म को निशाना बनाया गया, तो ट्रंप को सार्वजनिक रूप से अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए था।
अब सवाल यह है कि क्या ट्रंप अपनी राजनीतिक रणनीति और सामर्थ्य को ध्यान में रखते हुए उषा वेंस के धर्म पर किए गए अपमानजनक बयान पर प्रतिक्रिया देंगे? अगर वह चुप रहते हैं, तो इससे उनके कथित हिंदू धर्म के समर्थन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका हो सकता है, क्योंकि भारतीय-अमेरिकी समुदाय और दक्षिण एशियाई वोट बैंक एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत बन चुके हैं। ऐसे में, अगर ट्रंप उषा वेंस के धर्म के प्रति इस अपमानजनक बयान पर खामोश रहते हैं, तो इसका सीधा असर उनके चुनावी अभियान पर पड़ सकता है।
ट्रंप को अब यह फैसला करना होगा कि क्या वे अपने प्रचार अभियान में एक बार फिर हिंदू धर्म के प्रति अपने समर्थन को मजबूत करना चाहते हैं, या फिर वे केवल राजनीतिक लाभ के लिए चुप रहना पसंद करेंगे। उनके पास यह मौका है कि वह इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ताकि भारतीय-अमेरिकी समुदाय और अन्य धार्मिक समुदायों के बीच उनके समर्थन व विश्वास बना रहे।
अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय तेजी से बढ़ता हुआ एक महत्वपूर्ण जनसंख्या समूह बन चुका है। सन 2020 की अमेरिकी जनगणना के अनुसार, अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की तादाद लगभग 4.7 मिलियन (47 लाख) के आसपास है। यह आंकड़ा यह दिखाता है कि भारतीय समुदाय अब अमेरिका की कुल जनसंख्या का करीब 1.4% हिस्सा है।
बहरहाल वर्तमान राजनीति में जब भी व्यक्तिगत आस्थाओं और सार्वजनिक बयानबाजी का मसला उठता है, तो उससे जुड़े समुदायों की भावनाओं पर प्रभाव पड़ता है। इस मामले में अजय भूटोरिया ने न केवल उषा वेंस के धर्म बल्कि हिंदू धर्म की रक्षा की, बल्कि यह भी बताया कि कैसे अमेरिकी राजनीति में धर्मनिरपेक्षता और सामूहिक सम्मान की भावना को महत्व देना चाहिए।
Updated on:
31 Oct 2025 05:42 pm
Published on:
31 Oct 2025 05:34 pm
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