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‘तालिबान के मंत्री मुत्तकी के स्वागत पर मेरा शर्म से सिर झुक गया’ जावेद अख्तर के बयान पर मचा बवाल

Taliban Minister India Visit Javed Akhtar statement: मशहूर शायर व गीतकार जावेद अख्तर ने तालिबान के विदेश मंत्री मुत्तकी के भारत दौरे और देवबंद में स्वागत पर शर्मिंदगी जताई है।

3 min read

भारत

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MI Zahir

Oct 14, 2025

Javed Akhtar's statement on his ex-handle on Taliban Foreign Minister's visit to India

तालिबान के विदेश मंत्री के भारत दौरे पर जावेद अख्तर ने बयान दिया।

Taliban Minister India Visit Javed Akhtar statement: अफगानिस्तान के तालिबान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी (Amir Khan Muttaqi) का भारत दौरा सियासी और सामाजिक बहस का केंद्र बन गया है। सन 2021 में तालिबान के सत्ता हथियाने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है। मुत्तकी 9 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक छह दिनों की इस यात्रा पर हैं, जो संयुक्त राष्ट्र की यात्रा प्रतिबंध में छूट के बाद संभव हुई। इस दौरान देवबंद मदरसे में उनके भव्य स्वागत पर बॉलीवुड के मशहूर गीतकार जावेद अख्तर (Taliban Minister India Visit Javed Akhtar statement) ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि तालिबान ( Taliban) जैसे आतंकी संगठन के प्रतिनिधि को मिले सम्मान से उनका सिर शर्म से झुक गया।

मुत्तकी की यात्रा: पहला कदम या विवाद की शुरुआत ?

मुत्तकी पर 2001 से यूएन के यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती और हथियार प्रतिबंध लगे हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति ने विशेष छूट दी, जिसके बाद वे दिल्ली पहुंचे। विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात में दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग, व्यापार और विकास परियोजनाओं पर चर्चा की। भारत ने काबुल में दूतावास फिर से खोलने का ऐलान किया, जो चार साल बाद बड़ा कदम है। मुत्तकी ने पाकिस्तान को 'खेल बंद करने' की चेतावनी दी और भारत से खनिज निवेश व वाघा बॉर्डर से व्यापार सुविधा की मांग की। लेकिन भारत ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है और समावेशी शासन की मांग जारी रखी है।

जावेद अख्तर का एक्स पोस्ट: शर्मिंदगी का इजहार

जावेद अख्तर ने एक्स पर पोस्ट कर अपनी निराशा जाहिर की। उन्होंने लिखा कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि को उन लोगों से सम्मान मिलना शर्मनाक है, जो हमेशा आतंकवाद के खिलाफ बोलते हैं। अख्तर ने कहा, "मेरा सिर शर्म से झुक गया।" उन्होंने भारतीय भाइयों-बहनों से सवाल किया कि हमारे साथ क्या हो रहा है। यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां हजारों लाइक्स और शेयर मिले। अख्तर की यह टिप्पणी तालिबान की महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर नीतियों के खिलाफ उनकी पुरानी राय दर्शाती है।

देवबंद मदरसे का स्वागत: अख्तर का निशाना

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दारुल उलूम देवबंद, दक्षिण एशिया का प्रमुख इस्लामी संस्थान ​है, जिसने 11 अक्टूबर को मुत्तकी का जोरदार स्वागत किया। मदरसे के उप कुलपति मौलाना अबुल कासिम नौमानी और जमीअत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने उन्हें 'इस्लामी हीरो' की तरह सम्मान दिया। अख्तर ने इसे निशाना बनाते हुए कहा कि देवबंद को शर्म आनी चाहिए, क्योंकि मुत्तकी वही हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर पूर्ण रोक लगाई। उन्होंने देवबंद के इस कदम को 'सम्मानजनक स्वागत' बताते हुए आलोचना की, जो महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस विवाद: महिलाओं की अनुपस्थिति पर बवाल

मुत्तकी के दिल्ली दौरे के दौरान पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को आमंत्रित न करने पर हंगामा मच गया। विपक्षी नेता इसे 'महिलाओं का अपमान' बता चुके हैं। प्रेस संगठनों ने तालिबान की महिलाओं की विरोधी छवि को दोहराने का आरोप लगाया। विदेश मंत्रालय ने सफाई दी कि यह उनका आयोजन नहीं था। विवाद बढ़ने पर मुत्तकी ने 12 अक्टूबर को दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां कई महिला पत्रकारों को बुलाया। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी समस्या थी, छोटी सूची तय की गई थी। मुत्तकी ने जोर देकर कहा कि पुरुष-महिला सभी के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए, कोई भेदभाव नहीं।

जावेद अख्तर की पोस्ट को हजारों लोगों ने शेयर किया

सोशल मीडिया पर जावेद अख्तर की पोस्ट को हजारों लोगों ने शेयर किया। समर्थक उनकी हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं, जबकि कुछ ने इसे 'ओवररिएक्शन' बताया। देवबंद समर्थक कूटनीति का हवाला दे रहे हैं, लेकिन महिलावादी ग्रुप्स ने तालिबान नीतियों की निंदा की। बहस तेज हो गई है।

अख्तर की प्रतिक्रिया पर देवबंद से बयान आने की उम्मीद

मुत्तकी की यात्रा 16 अक्टूबर को खत्म होगी। अगले हफ्ते भारत-तालिबान व्यापार समझौते पर अपडेट आ सकता है। अख्तर की प्रतिक्रिया पर देवबंद से बयान आने की उम्मीद है।

विपक्ष इसे सरकार की कमजोरी बता रहा

यह विवाद भारत की अफगान नीति सुरक्षा vs मानवाधिकार पर उजागर करता है। तालिबान से संपर्क से आईएसआईएस पर काबू संभव है, लेकिन लड़कियों की शिक्षा जैसे मुद्दों पर दबाव जरूरी है। विपक्ष इसे सरकार की कमजोरी बता रहा है।

भारत-अफगानिस्तान संबंध: संतुलन की चुनौती

बहरहाल भारत तालिबान से दूरी बनाए रखता है, लेकिन क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए संपर्क जरूरी मानता है। मुत्तकी की यात्रा आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे संगठनों पर चर्चा का मौका देती है। तालिबान ने भारत को आश्वासन दिया कि अफगान मिट्टी का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होगा, लेकिन अख्तर जैसे बुद्धिजीवियों की आलोचना से सवाल उठे कि क्या यह कूटनीति तालिबान की विचारधारा को वैधता दे रही है? विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को मानवाधिकारों पर दबाव बनाना चाहिए। यह दौरा अफगानिस्तान में समावेशी सरकार के लिए भारत की वकालत मजबूत कर सकता है।