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Explainer: यूनुस के हसीना पर शिकंजा कसने से भारत की जान मुश्किल में, क्या प्रत्यर्पण की घड़ी आ गई ?

Sheikh Hasina Extradition: बांग्लादेश की अंतरिम मुहम्मद यूनुस सरकार ने शेख हसीना को राजद्रोह में भगोड़ा घोषित किया है।

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भारत

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MI Zahir

Nov 01, 2025

Sheikh Hasina

Sheikh Hasina (Photo - ANI)

Sheikh Hasina Extradition बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर राजद्रोह (Sheikh Hasina Extradition) का नया केस कर दिया है। 'जॉय बांग्ला ब्रिगेड (Joy Bangla Brigade)' नाम के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़े इस मामले में शेख हसीना समेत 261 लोगों को भगोड़ा घोषित करने से भारत की जान मुश्किल में आ गई है। यह कदम मुहम्मद यूनुस सरकार का हसीना को घेरने का एक ताजा बड़ा वार है, जो भारत के लिए बहुत मुश्किल पैदा कर रहा है। एक तरफ शेख हसीना (Sheikh Hasina ) का प्रत्यर्पण करने की मांग तेज हो रही है, तो दूसरी तरफ भारत का रुख साफ नहीं है(India Bangladesh Relations)। ध्यान रहे कि बिहार चुनावी रैलियों में AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) )ने भी पीएम मोदी ( Pm Modi) को हसीना के मुद्दे पर घेरा था। आइए, पूरी घटना का तारीखवार घटनाक्रम समझें।

बांग्लादेश का छात्र आंदोलन: सबकुछ कैसे बिगड़ा

बांग्लादेश में सब कुछ जून 2024 में शुरू हुआ । सरकारी नौकरियों में 30% कोटा सिस्टम के खिलाफ छात्रों ने शांतिपूर्ण विरोध शुरू किया। इसे स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) नाम का ग्रुप लीड कर रहा था। लेकिन हसीना सरकार ने इसे दबाने के लिए पुलिस और सेना उतार दी। जुलाई के मध्य तक विरोध हिंसक हो गया। उसके बाद 15 जुलाई से 5 अगस्त के बीच 1,400 से ज्यादा लोग मारे गए, ज्यादातर लोग गोलीबारी में मरे। यह बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद सबसे खूनी दौर था। छात्रों ने इसे 'जुलाई क्रांति' नाम दिया।

हसीना के खिलाफ बगावत: इस्तीफा और भागना

जब विरोध चरम पर पहुंचा तो 3 अगस्त 2024 को SAD ने हसीना का इस्तीफा मांगा। उसके बाद 5 अगस्त को हजारों प्रदर्शनकारी ढाका की सड़कों पर उतरे। हसीना को अपना आधिकारिक निवास छोड़ना पड़ा। उसी शाम उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बहन शेख रेहाना के साथ हेलीकॉप्टर से भारत भाग आईं। पहले वे अगरतला पहुंचीं, फिर दिल्ली। सेना के चीफ जनरल वाकेर-उज-जमान ने टीवी पर संबोधन देकर शांति की अपील की और अंतरिम सरकार का ऐलान किया।

शेख हसीना कब भारत आईं: सुरक्षित ठिकाना

शेख हसीना 5 अगस्त 2024 को ही भारत पहुंचीं। वे अभी दिल्ली के हाई-सिक्योरिटी एरिया में एक सेफ हाउस में रह रही हैं। भारत सरकार ने उन्हें शरण दी, जो पुरानी दोस्ती का नतीजा माना जा रहा है। गौरतलब है कि सन 1975 में उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद भी भारत ने हसीना को शरण दी थी। लेकिन अब यह शरण प्रत्यर्पण की मांग के कारण सवालों के घेरे में आ गई है।

तारीखवार : हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में लगातार हमले

तारीखक्या हुआ?
6 अगस्त 2024संसद भंग
8 अगस्त 2024यूनुस अंतरिम सरकार की शपथ
अगस्त 2024अवामी लीग पर हमले, हिंदू हिंसा; भारत ने चिंता जताई
सितंबर 2024यूनुस ने सुधार ऐलान, चुनाव 2025 तक
अक्टूबर 2024ICT ने मानवता विरुद्ध अपराध मुकदमा शुरू
नवंबर 2024ICT सुनवाई पूरी, 13 नवंबर फैसला
मार्च 2025CID ने जॉय बांग्ला ब्रिगेड पर राजद्रोह केस
31 अक्टूबर 2025हसीना + 260 भगोड़ा घोषित, नोटिस छपा

'जॉय बांग्ला ब्रिगेड': राजद्रोह का नया कोण

यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो हसीना और उनके पिता शेख मुजीब की विरासत का समर्थन करता। 19 दिसंबर 2024 को जूम मीटिंग में साजिश रची गई – गृह युद्ध छेड़कर यूनुस सरकार उखाड़ना। CID ने फोरेंसिक जांच में सुबूत पाए। 27 मार्च 2025 को केस दर्ज, जुलाई में चार्जशीट। 30 अक्टूबर को कोर्ट ने फरार घोषित किया। ब्रिगेड यूनुस को आतंकवाद का समर्थक बताता है।

बिहार चुनाव रैली में ओवैसी का हसीना को लेकर मोदी पर हमला

सितंबर-अक्टूबर 2025 के बिहार चुनाव में ओवैसी ने 'इनफिल्ट्रेटर्स' वाले BJP के दावे पर पलटवार किया। पूर्णिया रैली में मोदी ने कांग्रेस-RJD पर बांग्लादेशी घुसपैठिए पालने का आरोप लगाया। ओवैसी ने कहा: "बिहार में कोई बांग्लादेशी नहीं, लेकिन दिल्ली में 'बहन' बैठी है – शेख हसीना। अगर घुसपैठिए हटाने हैं, तो पहले उन्हें भेजो।" उन्होंने अमित शाह से सवाल किया: "BSF, इंटेलिजेंस तुम्हारे पास, फिर घुसपैठ कैसे?" यह हमला मुस्लिम वोटरों को लुभाने का था।

बांग्लादेश, शेख हसीना और तारीखवार घटनाक्रम

जून 2024 छात्र आंदोलन शुरू: कोटा सिस्टम के खिलाफ।
15 जुलाई-5 अगस्त 2024 हिंसा: 1,400 मौतें।
5 अगस्त 2024 हसीना इस्तीफा, भारत भागीं।
6 अगस्त 2024 संसद भंग।
8 अगस्त 2024 यूनुस अंतरिम सरकार।
दिसंबर 2024 प्रत्यर्पण रिक्वेस्ट।
19 दिसंबर 2024 जॉय बांग्ला मीटिंग।
मार्च 2025 राजद्रोह केस दर्ज।
13 नवंबर 2025 ICT फैसला।
31 अक्टूबर 2025 हसीना फरार घोषित।

अब यह संकट भारत-बांग्लादेश रिश्तों को प्रभावित कर रहा। यूनुस सरकार चुनाव की तैयारी में लगी, लेकिन हसीना का मुद्दा अनसुलझा। क्या प्रत्यर्पण होगा? कानूनी और राजनीतिक जंग लंबी चलेगी।

भारत सरकार का अब तक का रुख: चुप्पी और डिप्लोमेसी

भारत ने हसीना को शरण दी, लेकिन प्रत्यर्पण पर साफ रुख नहीं। दिसंबर 2024 में बांग्लादेश ने नोट वर्बल भेजा, लेकिन MEA ने सिर्फ रसीद कन्फर्म की। जनवरी 2025 में अंग्रेजी दैनिक ने राजनीतिक अपराध का हवाला देकर रिपोर्ट किया कि भारत प्रत्यर्पण नहीं करेगा । 2013 का प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन राजनीतिक अपराधों पर छूट। भारत का तर्क: हसीना को फेयर ट्रायल न मिले। दिसंबर 2024 में विदेश सचिव ढाका गए, लेकिन मुद्दा सुलझा नहीं।

क्या भारत प्रत्यर्पण कर सकता है: कानूनी पेचीदगियां

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत प्रत्यर्पण कर सकता है, लेकिन मुश्किल है। 2013 संधि के तहत हत्या, यातना जैसे अपराध प्रत्यर्पण योग्य। लेकिन भारत इनकार कर सकता है अगर राजनीतिक अपराध लगे या फेयर ट्रायल का डर हो। हसीना कोर्ट में चैलेंज कर सकती हैं। विशेषज्ञ कहते हैं: भारत रणनीतिक हितों (अवामी लीग समर्थन) के कारण मना करेगा। यूनुस सरकार दबाव डाल रही, लेकिन भारत 'नॉन-इंटरफेरेंस' पर अड़ा हुआ है। (इनपुट क्रेडिट: ANI,ढाका ट्रिब्यून और एसोसिएटेड प्रेस।)