
ट्यूनीशिया में फंसे झारखंड के 48 मजदूर। (फोटो: एक्स.)
Jharkhand Workers Tunisia: अफ्रीका के ट्यूनीशिया में झारखंड के 48 मजदूर बदहाली (Jharkhand Workers Tunisia) की जिंदगी जी रहे हैं। हजारीबाग से 19, गिरिडीह से 14 और बोकारो से 15 मजदूर, (Tunisia Stranded Laborers) सब एक ही कंपनी में काम करते थे। लेकिन पिछले तीन महीनों से सैलरी बंद (Jharkhand Migrants Crisis) है। न खाने को रोटी, न उनके पास किराये के पैसे हैं। एक वीडियो में वे रोते हुए कहते हैं, “हम बहुत मुश्किल में हैं। कंपनी ने हमें छोड़ दिया। बस घर भेज दो।” ये लोग अच्छी नौकरी के लालच में विदेश गए थे, लेकिन अब भूख और बेबसी के मारे हैं।
मजदूर बताते हैं कि कंपनी ने पहले अच्छे वादे किए – महीने में 40-50 हजार सैलरी, रहने-खाने की सुविधा। लेकिन अब न पैसा, न जवाब। आवास का किराया बकाया हो गया, मकान मालिक धमकी दे रहा है। खाने के लिए पड़ोसियों से उधार मांग रहे हैं। एक मजदूर ने कहा, “हमारे बच्चे घर पर भूखे हैं, हम यहां पर परेशान हैं। न पैसा भेज पा रहे हैं, न खुद खा पा रहे हैं।”
हजारीबाग के अमरदीप चौधरी, जीवधन महतो व धनश्वर महतो से लेकर बोकारो के अजय कुमार, अनिल कुमार, गोपाल महतो तक – सब गरीब परिवारों से हैं। ये लोग गांव में रोजगार न मिलने पर एजेंट के झांसे में विदेश गए। अब एजेंट का फोन बंद है, कंपनी मौन हैै। गिरिडीह के नंदलाल महतो व संतोष महतो जैसे कई मजदूर पहली बार विदेश गए थे।
सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली कहते हैं, “यह नया नहीं है। 25 अप्रैल 2025 को गिरिडीह के 5 मजदूर – संजय, चंद्रिका, राजू, फालजीत और उत्तम महतो – नाइजर में अगवा हो गए। उनका आज तक पता नहीं है।” वे चेताते हैं कि विदेश भेजने वाले एजेंट बिना लाइसेंस काम करते हैं। सरकार को राज्य में रोजगार देना होगा, वरना पलायन नहीं रुकेगा।
मजदूरों ने वीडियो में भारत सरकार, झारखंड सरकार और विदेश मंत्रालय से अपील की है। “हमें वापस लाओ, हम मरना नहीं चाहते।” भारतीय दूतावास से संपर्क की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं। परिवार वाले परेशान हैं– न पैसा, न खबर मिली।
तुरंत भारतीय दूतावास को सक्रिय करें
मजदूरों को सुरक्षित वापस लाएं।
कंपनी और एजेंट पर कार्रवाई हो।
विदेश जाने से पहले सत्यापन अनिवार्य करें।
Published on:
01 Nov 2025 04:01 pm
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