Sheikh Hasina (IANS)
Sheikh Hasina Arrest Warrant: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने 8 अक्टूबर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट (Sheikh Hasina Arrest Warrant) जारी किया। मुख्य आरोप है कि अवामी लीग सरकार के दौरान सैकड़ों लोगों को जबरन गायब (Bangladesh Enforced Disappearances) कराया गया। हसीना ने अभी भारत में शरण ले रखी हैं, और यह कार्रवाई अंतरिम सरकार की ओर से चल रही जांच का हिस्सा है। ट्रिब्यूनल ने दो अलग-अलग मामलों में कुल 29 लोगों के खिलाफ वारंट जारी किए। पहले मामले में हसीना, उनके सुरक्षा सलाहकार तारिक अहमद सिद्दीकी और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के 15 पूर्व अधिकारियों पर पांच आरोप लगे हैं। अभियोजन पक्ष का कहना है कि टास्क फोर्स फॉर इंटरोगेशन (TFI) सेल में विपक्षी कार्यकर्ताओं को अगवा कर यातना दी गई। दूसरे मामले में हसीना, तारिक और 11 अन्य पर जॉइंट इंटरोगेशन सेल (JIC) में इसी तरह के पांच अपराधों का आरोप है। इनमें डीजीएफआई के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल और मेजर जनरल जैसे खुफिया अधिकारी शामिल हैं।
जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान रामपुरा हत्याकांड में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के लेफ्टिनेंट कर्नल रेडवान अहमद और तीन अन्य के खिलाफ भी आरोप पत्र दायर हुआ। ये घटनाएं हसीना सरकार के पतन के बाद की हिंसा से जुड़ी हैं, जिसमें 600 से ज्यादा मौतें हुईं। ट्रिब्यूनल ने इन सभी को मानवता के खिलाफ अपराध माना है।
मंगलवार को ट्रिब्यूनल ने अवामी लीग को राजनीतिक दल के रूप में औपचारिक जांच के दायरे में लिया। मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा कि जुलाई प्रदर्शनों के दौरान हुए अपराधों की जांच के लिए अधिकारी नियुक्त कर दिया गया है। 5 अक्टूबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इसकी शुरुआत का संकेत दिया था। यह कदम मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत चल रही कार्रवाई का हिस्सा है, जो हसीना के समर्थकों पर सख्ती बरत रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह यूनुस सरकार का राजनीतिक बदला है। अगस्त 2024 में हसीना के सत्ता से हटने के बाद उनके पार्टी सदस्यों और अधिकारियों पर कई मामले दर्ज हो चुके हैं। एक कमीशन ने 1,676 शिकायतें दर्ज कीं, जिनमें से 27% पीड़ित लापता बताए गए। हसीना पर पहला वारंट जुलाई-2024 में जारी हो चुका है। बांग्लादेश ने भारत से प्रत्यर्पण की मांग की है, लेकिन दिल्ली ने अभी चुप्पी साध रखी है।
बहरहाल इन वारंटों से गायब लोगों के परिवारों में न्याय की आस जगी है। मानवाधिकार संगठन कहते हैं कि हसीना के 15 साल के शासन में डर का माहौल बनाया गया, जिसमें आरएबी और डीजीएफआई जैसे बल शामिल थे। अंतरिम सरकार ने इन अपराधों की जांच को तेज किया है, जो बांग्लादेश की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। (IANS)
Updated on:
08 Oct 2025 05:28 pm
Published on:
08 Oct 2025 05:23 pm
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