अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फोटो- एएनआई)
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने 16 अक्टूबर, 2025 से अमेरिका में पैरोल पर आए विदेशियों के लिए 1,000 डॉलर (88000 रुपए) का नया शुल्क लागू करने की घोषणा की है, ताकि जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके और पैरोल प्रणाली में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को रोका जा सके।
यह उन लोगों पर लागू होगी है जो पैरोल या री-पैरोल मंजूर होने पर पहले से ही देश में मौजूद हैं। कुछ कैटेगरी के ह्यूमैनिटेरियन और पब्लिक बेनिफिट केस इससे छूट प्राप्त हैं। इस शुल्क का उद्देश्य आव्रजन पैरोल प्रणाली की निगरानी को मज़बूत करना और इसके दुरुपयोग को रोकना है।
अमोरिका सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के अनुसार, यह उन लोगों से इमिग्रेशन पैरोल फीस लेता है जो अमेरिका में फिजिकली मौजूद हैं और जिन्हें पैरोल या पैरोल का नया समय (री-पैरोल) दिया जा रहा है।
अमेरिका की सहायक गृह मंत्री ट्रिशिया मैकलॉघलिन ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन ने अमरीका की आव्रजन प्रणाली का दुरुपयोग किया है और पैरोल को एक वास्तविक क्षमादान कार्यक्रम में बदल दिया है, जिससे लाखों अवैध विदेशी बिना किसी सवाल के अमेरिका में प्रवेश कर गए। जिससे सभी अमरीकियों को नुकसान हो रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एच1-बी वीजा की फीस में भारी वृद्धि की है, जिससे भारतीय पेशेवरों और आईटी कंपनियों पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
नई फीस के अनुसार, एच1-बी वीजा के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों को अब लगभग 88 लाख रुपये (1 लाख अमेरिकी डॉलर) का भुगतान करना होगा।
एच1-बी वीजा की फीस में 20 से 100 गुना तक की वृद्धि हुई है, जिससे यह पहले की फीस 215 डॉलर से 750 डॉलर से बढ़कर 1 लाख डॉलर हो गई है।
यह फीस वृद्धि नए और मौजूदा एच1-बी वीजा धारकों पर लागू होगी, लेकिन पुराने वीजा धारकों पर नहीं। ट्रंप प्रशासन का उद्देश्य अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि कंपनियां उच्च कुशल विदेशी कामगारों को ही नियुक्त करें।
Published on:
18 Oct 2025 07:40 am
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