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Board exams में नंबर देने का तरीका बदला, अलग-अलग मिलेंगे अंक

MP News: शिक्षकों के मुताबिक प्रायोगिक परीक्षा में परीक्षार्थी सबसे अधिक मौखिक परीक्षा में डरते हैं।

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(फोटो सोर्स: AI Image)

(फोटो सोर्स: AI Image)

MP News: माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा के लिए अंकों का विभाजन जारी किया गया है। उद्देश्य यह है कि छात्र-छात्राएं इस बात को ध्यान में रखकर पढ़ाई करें कि उन्हें किस विषय वस्तु में कितने अंक मिलेंगे। विषय विशेषज्ञों के अनुसार प्रायोगिक परीक्षा के नंबर पहले की तरह ही रहेंगे, लेकिन विषय वस्तु के विभाजन में आंशिक परिवर्तन किया गया है। कक्षा 12 वीं में ज्यादातर विषयों में वार्षिक प्रयोग पुस्तिका और मौखिक परीक्षा के अंक इस बार अलग-अलग निर्धारित किए गए हैं।

विज्ञान वर्ग के ज्यादातर विषयों में बदलाव

शिक्षकों के मुताबिक प्रायोगिक परीक्षा में परीक्षार्थी सबसे अधिक मौखिक परीक्षा में डरते हैं। उन्हें इस बात का डर रहता है कि मौखिक परीक्षा में वे परीक्षक के सवालों का सही जवाब नहीं दे पाए तो प्रायोगिक परीक्षा के पूरे अंक प्रभावित होंगे, लेकिन अब पूरी परीक्षा तो दूर वार्षिक प्रयोग पुस्तिका के अंक भी मौखिक परीक्षा से प्रभावित नहीं होंगे। क्योंकि दोनों के अंक अब अलग-अलग निर्धारित कर दिए गए हैं।

यह बदलाव विज्ञान वर्ग के ज्यादातर विषयों में किया गया है। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य व रसायन विज्ञान के शिक्षक के सिंह के अनुसार वार्षिक पुस्तिका और मौखिक परीक्षा के अंक अलग होने से बच्चों पर मानसिक दवाब कम होगा।

कक्षा 12वीं, रसायन शास्त्र में पूर्णांक 30 अंक का

पहले वार्षिक प्रयोगों की अभिलेख पुस्तिका और मौखिक परीक्षा दोनों मिलाकर छह अंकों की थी। अब इन दोनों परीक्षाओं के अंक अलग-अलग कर दिए गए हैं। अभिलेख पुस्तिका चार अंक और मौखिक परीक्षा दो अंक की होगी। प्रयोग परीक्षा में बाकी विषय वस्तु के अंक पूर्ववत हैं। आयतनमितीय व अकार्बनिक मिश्रण का विश्लेषण 8-8 अंकों का होगा। जबकि कार्बनिक रसायन में यौगिक में उपस्थित क्रियात्मक समूहों का परीक्षण व प्रयोजनों पूर्व की तरह 4-4 अंकों के होंगे।

ब्लू प्रिंट जारी होना अभी बाकी

सांदीपनि स्कूल के प्राचार्य बलराम चौधरी का कहना है कि प्रायोगिक परीक्षा के पूर्णांक पूर्ववत हैं। आंशिक परिवर्तन से परीक्षार्थियों के अंक प्रभावित नहीं होंगे। छात्र-छात्राओं को अब सभी प्रश्नपत्रों के ब्लूप्रिंट का इंतजार है। इसमें यह स्पष्ट किया जाता है कि पाठ्यपुस्तक के किस पाठ से परीक्षा में कितने अंक के प्रश्न पूछे जा सकते हैं। प्राचार्य के अनुसार अंक विभाजन की जानकारी के साथ ब्लूप्रिंट से भी छात्र-छात्राओं के पढ़ाई करने और अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलती है।