Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

टोंक

Heavy Rain बीसलपुर बांध से पानी निकासी जारी, 24 टीएमसी पानी छोड़ा अब तक, त्रिवेणी का गेज 2.60 मीटर

Heavy Rain Rajasthan बीसलपुर बांध से पानी निकासी जारी, 24 टीएमसी पानी छोड़ा अब तक, त्रिवेणी का गेज 2.60 मीटर

Heavy Rain Rajasthan बीसलपुर बांध ने इस बार अपने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 74 दिन बाद भी लगातार बांध छलक रहा है। बांध से लगातार बनास नदी में पानी की निकासी की जा रही है। बीसलपुर बांध के कैचमेंट एरिया के साथ ही पास के जलभराव क्षेत्र में इस बार जमकर बारिश हुई। इसके चलते जयपुर, अजमेर और टोंक जिले के लिए अगले दो साल तक पेयजल की चिंता खत्म हो गई है। बांध का गेज पूर्ण जलभराव 315.50 आरएल मीटर पर स्थिर बना हुआ है। बीसलपुर बांध हर बार अगस्त माह में छलकता आया है लेकिन इस बार मानसून की मेहरबानी के चलते पहली बार पूर्व के रिकार्ड तोड़ते हुए जुलाई में ही छलकने लगा।

जल निकासी और जलापूर्ति 74 दिन से जारी

बांध से 74 दिन से लगातार जलापूर्ति भी की जा रही है। बीसलपुर बांध का 11 नंबर गेट रविवार को भी 25 सेंटीमीटर तक खुला रहा जिससे बनास नदी में प्रति सेकंड 1503 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। बांध से बनास नदी में अब तक करीब 24 टीएमसी पानी छोड़ा जा चुका है। वहीं त्रिवेणी का गेज 2.60 मीटर चल रहा है। बताया जा रहा है कि बांध के पूरा भरने और छलकने के बाद इस बार टोंक जिले के किसानों को सिंचाई का पानी देने की तैयारियां भी बांध परियोजना प्रशासन की ओर से की जा सकती हैं। अगले दो वर्ष तक सिंचाई के लिए बांध की दायीं व बायीं मुख्य नहरों से पानी मिलने की संभावना को लेकर जिले के किसानों में भी खुशी की लहर है।

नहरों में सिंचाई का पानी छोड़ने का निर्णय राज्य सरकार के अधीन

बीसलपुर बांध परियोजना देवली के अधिशासी अभियंता मनीष बंसल का कहना है कि बांध से इस बार सबसे अधिक दिनों तक पानी की निकासी होने से पेयजल के पानी की बचत होना स्वाभाविक है। वहीं अत्यधिक बारिश के चलते खेतों में भी नमी बनी हुई है। हालांकि नहरों में सिंचाई का पानी छोड़ने का निर्णय राज्य सरकार के अधीन है। गौरतलब है कि बीसलपुर बांध में पूर्ण जलभराव होने या फिर पूर्ण जलभराव का 75 फीसदी पानी भरने पर सिंचाई के लिए 8 टीएमसी पानी आरक्षित रखा गया है। क्षेत्र में इस बार तेज बारिश के चलते खेतों में अभी तक नमी बनी हुई है। ऐसे में किसानों के अनुसार प्रथम सिंचाई के दौरान भी नहरों से सिंचाई के पानी की बचत मानी जा रही है।