उप-राष्ट्रपति चुनाव का मुकाबला शुरू हो चुका है। इस बार यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि एक वैचारिक टकराव बन गया है। संसद में संख्या का गणित साफ है — एनडीए के पास 293 वोट हैं, जबकि विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के पास 249। यानी एनडीए की जीत लगभग तय मानी जा रही है। लेकिन इसके बावजूद इंडिया ब्लॉक ने मुकाबले में उतरने का फैसला किया है।
उनकी ओर से उम्मीदवार बनाए गए हैं पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी। विपक्ष के लिए यह मुकाबला सिर्फ जीत-हार का नहीं, बल्कि एक संदेश देने का मौका है। उनका कहना है कि यह लड़ाई संविधान की रक्षा की है, और ऐसे समय में चुप बैठ जाना मतलब लड़ाई बिना लड़े हार मान लेना होगा।
इंडिया ब्लॉक का मानना है कि बी. सुदर्शन रेड्डी उनके आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने करियर में नागरिक अधिकारों की रक्षा की है। सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में, गोवा के लोकायुक्त के तौर पर, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और तेलंगाना में जाति सर्वे समिति के प्रमुख के रूप में उनका लंबा अनुभव रहा है। विपक्ष उन्हें एक ऐसा चेहरा मानता है जो संविधान का रक्षक बन सकता है, आम नागरिक की आवाज बन सकता है, और यह दिखा सकता है कि संविधान खतरे में नहीं है।
दूसरी ओर एनडीए ने अपने उम्मीदवार के तौर पर सी.पी. राधाकृष्णन को चुना है। राधाकृष्णन की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ाव और प्रधानमंत्री व गृह मंत्री को ‘प्रिय’ कहने वाले बयान ने विपक्ष को और आक्रामक कर दिया है। इंडिया ब्लॉक इस चुनाव को दो विचारों की लड़ाई के रूप में पेश कर रहा है — एक तरफ संविधान की रक्षा का पक्ष, और दूसरी तरफ उस विचारधारा का समर्थन, जिसे वे लगातार चुनौती देते आए हैं।
इस चुनाव ने राजनीतिक समीकरणों को भी थोड़ा बदल दिया है। आम आदमी पार्टी, जिसने पहले इंडिया ब्लॉक से दूरी बना ली थी, अब इस चुनाव के लिए साथ आ गई है। बताया जा रहा है कि इसमें तृणमूल कांग्रेस ने अहम भूमिका निभाई है। वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि सुदर्शन रेड्डी के तेलंगाना से होने के कारण वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को एनडीए का समर्थन देने पर दोबारा सोचने पर मजबूर किया जा सकता है। हालांकि एनडीए को यकीन है कि वाईएसआरसीपी का समर्थन उन्हें मिलेगा, लेकिन विपक्ष की कोशिशें जारी हैं।
इस मुकाबले के पीछे एक और बड़ी वजह है — राज्यसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज कराना। विपक्ष का यह भी मानना है कि पूर्व उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ उनका टकराव, जो कि एक असफल महाभियोग प्रस्ताव तक जा पहुंचा था, अब एक नई राह ले रहा है। और अब वो फिर से एक ऐसे उम्मीदवार के खिलाफ खड़े हैं, जिनकी पृष्ठभूमि संघ से जुड़ी है। इसलिए इंडिया ब्लॉक के लिए यह चुनाव सिर्फ संसद के आंकड़ों का खेल नहीं है। यह एक राजनीतिक संदेश है — कि संविधान के नाम पर, और उस विचारधारा के विरोध में जो उसे चुनौती देती है, लड़ाई जरूरी है। बी. सुदर्शन रेड्डी को समर्थन देकर विपक्ष यह बताना चाहता है कि यह चुनाव सिर्फ एक व्यक्ति के पद पर पहुंचने की कोशिश नहीं, बल्कि संविधान की भावना और उस पर मंडराते खतरे के खिलाफ एक जनमत है।