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नई दिल्ली

भारत की चेतावनी, घबराए शहबाज, PoK की आग में जलेगा पाकिस्तान

भारत की तरफ से भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा कि पीओके में हो रहे ये प्रदर्शन पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों का नतीजा हैं।

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, यानी पीओके में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। पाकिस्तान सरकार की नीतियों के खिलाफ हो रहे इन परदर्शनों का कारण आर्थिक तंगी और राजनीतिक अधिकारों की कमी बताई जा रही है। इन हिंसक प्रदर्शनों के दौरान अब तक 12 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

इन विरोधों की अगुवाई संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी कर रही है, जो स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक राहत, रोज़मर्रा की ज़रूरतों की चीज़ों पर सब्सिडी और क्षेत्र को ज़्यादा राजनीतिक अधिकार देने की मांग कर रही है। हालात को काबू में करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने पीओके में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। मुज़फ़्फराबाद समेत कई शहरों में दुकानें, होटल और कारोबारी केंद्र पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। हालात पर काबू पाने के लिए पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने पीओके के लोगों पर खुलेआम फायरिंग भी की जिसमें 12 आम लोगों की जान जा चुकी हैं। इस मामले पर जम्मू-कश्मीर संयुक्त आवामी एक्शन कमेटी के नेता फ़ैसल जमील कश्मीरी ने कहा कि ये विरोध प्रदर्शन इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि जम्मू-कश्मीर के लिए 1947 से लागू 25 प्रतिशत कोटा को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।

वहीं जम्मू कश्मीर संयुक्त आवामी एक्शन कमेटी के एक और नेता शौकर नवाज मीर ने कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहे थे, तभी प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में कुछ लोग हथियारों के साथ पहुंचे और हमारे कार्यक्रम स्थल पर सीधी गोलीबारी करदी।

अब भारत की तरफ से भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा कि पीओके में हो रहे ये प्रदर्शन पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों का नतीजा हैं। उनका कहना था कि पाकिस्तान ने इन क्षेत्रों पर अवैध कब्जा कर रखा है और लंबे समय से वहां के संसाधनों का शोषण कर रहा है। उन्होंने पाकिस्तान को पीओके में हो रहे मानवाधिकार हनन के लिए जवाबदेह ठहराने पर जोर दिया।

पीओके में जारी इस अस्थिरता को देख कर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस मामले पर चिंता जताई है। उनकी ओर से बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया कि पीओके की स्थिति पर पारदर्शी जांच कराई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण विरोध हर नागरिक का संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन प्रदर्शनकारियों को कानून व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शहबाज़ शरीफ़ ने बातचीत के लिए बनाई गई समिति का विस्तार करने का भी फैसला लिया है ताकि किसी समाधान तक पहुंचा जा सके।