नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में रविवार को चौबीस तीर्थंकर तप साधना का शुभारंभ हुआ। यह पच्चीस दिन तक संवत्सरी महापर्व तक जारी रहेगी। इस तप साधना में श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन तपस्या व पैंसठिया छंद की साधना करेंगे। इस मौके पर समणी सुयशनिधि ने मैत्री दिवस के अवसर पर सच्चे मित्र की परिभाषा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान महावीर बाल्यकाल से ही संयम, करुणा और मित्रता जैसे मूल्यों को जीते थे। खेलों में भी वे मर्यादा और मित्रों की भावनाओं का सम्मान करते थे। उन्होंने कहा कि दुख में साथ देना वाला ही सच्चा मित्र होता है। इसके साथ ही वह सत्य बोलने वाला हो, और आत्मोन्नति की राह पर प्रेरित करे। उन्होंने सोशल मीडिया पर मित्रता के नाम पर हो रहे अनुचित व्यवहारों पर चिंता जताते हुए युवाओं को विवेक से मित्र चुनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में मैत्री केवल मनुष्य तक सीमित नहीं, अपितु समस्त जीवों के प्रति मैत्री भाव होना चाहिए।
इनको मिला प्रभावना का लाभ
इस अवसर पर तप साधना से जुड़ी गतिविधियों में उर्मिला देवी, गौतमचंद खींवसरा, विनीता देवी पींचा, संजय कुमार पींचा, सुरेशचंद कोठारी , तीजा देवी पींचा आदि परिवारों ने प्रभावना का लाभ लिया। प्रतियोगिता के दौरान पारस भूरट, पुष्पा ललवानी, नेहा जैन व पिंकी नाहटा को रजत मेडल व सम्मान प्रदान किया गया। दोपहर में सुशील धरम आराधना भवन में ज्ञान-ध्यान संस्कार शिविर आयोजित हुआ। जिसमें बच्चों ने धार्मिक अध्ययन व प्रतियोगिताओं में भाग लिया। सरोज देवी चौरडिया के जन्मदिन पर संघ की ओर से अनुमोदना की गई। नरेंद्र चौरडिया परिवार ने जीव दया में सहयोग किया। संघ सहमंत्री पूनमचंद बैद ने बताया कि मंगलवार को जैनाचार्य शुभचंद्र महाराज के 86वें जन्मोत्सव पर रावत स्मृति भवन में सामूहिक एकासन तप का आयोजन होगा। इस दौरान अमित जैन, पूनमचंद ललवानी, ललित सुराणा, नरेशचंद जैन, जितेंद्र चौरडिया आदि मौज्ूद थे।