समृद्धि व खुशहाली के पांच दिवसीय दीपोत्सव में गोवर्धन पूजा अहम पर्व होता है। दीपावली पर महालक्ष्मी से सुख और वैभव की मनौती के बाद धन-धान्य की प्रकोपों से रक्षा की कामना के लिए भगवान कृष्ण के गिरिराजधरण स्वरूप यानी गोवर्धन महाराज की पूजा कुटुम्ब परिवार के साथ जोर शोर से की जाती है। बुुधवार को भगवान गोवर्धन की पूजा के लिए कृष्णा कॉलोनी में एक घर के आंगन में गाय के गोबर से भूमि पर बनाया गया गोवर्धन महाराज का प्रतिरूप। जिसकी देर शाम पूजा अर्चना की परिक्रमा की गई।
हिण्डौनसिटी. दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा इस बार भी तिथियों की घट-बढ़ के चलते एक दिन के अंतराल पर बुधवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। शाम होते ही शहर और गांवों में कुटुंबजनों के साथ सामूहिक पूजा का आयोजन हुआ। गली-मोहल्लों में गिर्राज महाराज के जयकारों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया।
शहर के विभिन्न कॉलोनियों और घरों के आंगनों में गाय के गोबर से भगवान कृष्ण के गिरिराजधरण स्वरूप की मूरतें बनाई गईं। इन्हें ओंगा, कोडियों, खीलों और फूलों से सजाया गया। शाम करीब 6 बजे से शुरू हुई पूजा का दौर देर रात तक चला। पूजा के बाद आतिशबाजी से आकाश सतरंगी रोशनी से जगमगा उठा, जिससे दीपोत्सव की रौनक और बढ़ गई। इससे पहले पूजा के लिए शहर की गोशालाओं से गाय का गोबर लाकर घरों में गिरिराजधरण की भूमि कृति बनाई गई, जिसे श्रद्धालुओं ने पूजन स्थल के रूप में सजाया। इस अवसर पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सहभागिता ने पर्व को और भी जीवंत बना दिया।
ग्रामीण अंचलों में भी रही श्रद्धा की छटा
ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से ही गोवर्धन पूजा का सिलसिला शुरू हो गया। पशुपालकों ने गोवंश की पूजा कर भगवान कृष्ण के स्वरूप में गोवर्धन भगवान की आराधना की। गांवों में भी शाम तक पूजा का दौर चला और श्रद्धालु सामूहिक रूप से परिक्रमा में शामिल हुए।
सात कोसी परिक्रमा की परंपरा निभाई
पूजा के दौरान मानसी गंगा और गोवर्धन की सात कोसी परिक्रमा की परंपरा निभाते हुए लोगों ने मूरत की सात बार परिक्रमा की। इस दौरान श्रीहरदेव गिरवर की परिक्रमा देओ, कुण्ड-कुण्ड चरणामृत लेओ की स्वरहरियों से शहर गुंजायमान हो गया। राम पंडा ने बताया कि यह आयोजन आस्था और पारिवारिक एकता का प्रतीक है, जिसमें कुटुम्ब और कहीं कहीं पूरा गांव एक साथ गोवर्धन पूजा करता है।