Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

करौली

नशा मुक्त समाज और व्यसन रहित युवा पीढ़ी से बनेगा सशक्त राष्ट्र

हिण्डौनसिटी. अखिल भारतीय श्री जैन रत्न युवक परिषद की ओर से चातुर्मास के तहत व्यसन मुक्ति जागरूकता सप्ताह मनाया गया। इसमें रविवार को जैनाचार्य हीराचंद्रजी महाराज के 63 वें दीक्षा दिवस पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता हुई।

Google source verification

हिण्डौनसिटी. अखिल भारतीय श्री जैन रत्न युवक परिषद की ओर से चातुर्मास के तहत व्यसन मुक्ति जागरूकता सप्ताह मनाया गया। इसमें रविवार को जैनाचार्य हीराचंद्रजी महाराज के 63 वें दीक्षा दिवस पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता हुई।

इसमें शहर के बच्च्चों व युवक-युवतियों ने चित्रों के जरिए युवा पीढ़ी को तंबाकू, ड्रग्स, मोबाइल एडिक्शन जैसे कुव्यसनों से बचाकर उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी का संदेश दिया। व्याख्यात्री महासती रुचिताजी महाराज आदि ठाणा 5 के सानिध्य में हुई प्रतियोगिता में श्रेष्ठ 3-3 विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। नई मंडी स्थित जैन स्थानक में आचार्य प्रवर हीराचंदजी महाराज के व्यसन मुक्ति के आह्वान को जन जन तक पहुंचाने के लिए स्कूलों व महाविद्यालयों में अध्ययनरत 125 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया। परिषद के अध्यक्ष डॉ.रीतेश जैन ने बताया कि प्रतिभागियों ने नशे के दुष्परिणाम और बचाव पर आधारित पोस्टर बनाकर अपने विचार प्रस्तुत किए। उपाध्यक्ष संदीप जैन और मंत्री गौरव जैन ने कहा कि पोस्टरों से प्रतिभागियों ने युवाओं को व्यसन मुक्त रहने का संदेश दिया। प्रतियोगिता के अंत में जैन स्थानक में चातुर्मास साधना कर रही महासती रुचिता महाराज प्रतियोगियों को नशा और व्यसन मुक्त रहकर जीवन की परिस्थिति के मुकाबले के लिए सशक्त बनने को कहा। इस अवसर पर वर्धमान जैन, अमन जैन, विभव जैन, अजय जैन, अमित जैन, अंशु जैन, उषभ जैन सहित जैन समाज के अनेक श्रावक-श्राविका उपस्थित रहे।

दिव्यांशी व ईशु रही प्रथम
प्रतियोगिता में 10-15 वर्ष और 16-25 वर्ष आयु वर्ग के लिए दो श्रेणियां बनाई गईं। ग्रुप ए में दिव्यांशी जैन, तन्वी धाकड़, परी जैन और ग्रुप बी में ईशु जैन, मान्यता स्वामी, नीतू सैनी ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्रतिभगियों के पोस्टरों और संदेश प्रस्तुतिकरण का धर्मचंद जैन, सहायक आचार्य डॉ. आशा राठौर और चित्रकला व्याख्याता अरविंद धाकड़ ने मूल्यांकन किया।