सुकमा . रामाराम मेला में माँ चिटमिट्टीन अम्मा देवी के दरबार में क्षेत्र की देवी-देवता बडी संख्या में शामिल हुए। मेले में शामिल देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर मेले की शुरुआत हुई। माता के दर्शन करने के लिए घंटों कतार में लगकर माता के दर्शन व परिवार जनों की सुख शांति और समृद्धि की कामना की।
वहीं इस मेले की शुरूआत सुकमा माता मंदिर से होती है। जहां से देवी की डोली रामाराम मंदिर के लिए जमींदर परिवार, पुजारी व सेवको व स्थानीय लोगों के साथ रामाराम मेला के लिए पहुंचती हैं। जहां रात्रि विश्राम के बाद दूसरे दिन मेले का आयोजन होता है। रामाराम देवी के मंदिर प्रवेश के साथ विशेष पूजा अर्चना करने के साथ भव्य मेला की शुरुआत होती है। इसके बाद दूसरे दिन देवी की डोली पुन: सुकमा राजवाड़ा मंदिर पहुंचती है। जहां विशेष पूजा अर्चन कर मेले की शरूआत की जाती है।
सुकमा जिला मुख्यालय से आठ किमी दूर प्रतिवर्ष की तरह लगने वाल रामाराम मेला इस वर्ष भी भव्य आयोजन के साथ लगा।
रामाराम में माँ चिटमिट्टीन अम्मा देवी दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्वालू बडी संख्या में पहुंचे रहे थे। लम्बी लाईन में खडे होकर श्रद्धालू अपने बारी के इंतजार करते हुए दिखे। जहां पूजा-अर्चना कर श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना की। साथ ही यहां पहंचे लोगों ने मेले का आनंद लिया। ज्ञात हो कि सुकमा जिले का यह सबसे बड़ा मेला होता है। इसके बाद ही सुकमा जिले में अन्य क्षेत्र में मेला मड़ई की शुरूआत होती है।
बच्चों को खूब लुभाए रंग बिरंगे खिलौने : मेले की रौनक दोपहर के बाद बढ़ी। यहां तरह-तरह के खेल-खिलौनों और खाने-पीने की दुकानों पर बच्चे मगन रहे। लेकिन बड़ों ने भी उन्हीं की तरह मेले का लुत्फ लिया। खिलौना बेचने वालों से बच्चों ने सीटी, खिलौना वाली मोबाइल, चश्मा, चेहरा, गुब्बारा, गुड़िया, चाभी वाले खिलौने खरीदे। इसके अतिरिक्त गुब्बारे पर निशाना लगाने और रिंग फेंककर इनाम जीतने सहित मनोरंजक खेलों में किशोरों, युवाओं ने रुचि दिखाई। महिलाओं ने घर-गृहस्थी में उपयोग आने वाली तथा सजावटी चीजें खरीदीं। मेला में मिठाई, जलेबी, फास्ट फूड और खाने-पीने की अन्य दुकानें अस्थायी तौर पर लगीं। रामाराम मेला में शाम तक चहल पहल बनी रही।