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बुरहानपुर

एमपी के बुरहानपुर में सडक़ों पर उतरे किसान, पुलिस से की धक्का-मुक्की, मंडी में दिया धरना

केला फसल बीमा लागू करने की मांग

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केला फसल बीमा लागू करने की मांग


banana growing farmer। देश-दुनिया में बुरहानपुर को पहचान दिलाने वाले केला उत्पादक किसान के सब्र का बांध टूट गया। 7 साल से केला फसल का मौसम आधारित प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं होने पर करोड़ों रुपयों का नुकसान झेल रहे किसान सरकार से सीधी लड़ाई के लिए मैदान में उतर आए है। इसका असर गुरुवार को बुरहानपुर में देखने को मिला।

केला उत्पादक किसानों फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केला खरीदी की मांग को लेकर शर्ट उतार कर ट्रैक्टर ट्रॉली और बाइक पर सवार होकर खकनार से रैली के रूप में निकले। किसानों के आक्रोश को देख विपक्षी कांग्रेस नेताओं ने भी समर्थन कर रैली में साथ दिया। देखते ही देखते बड़ी संख्या में किसान जब सडक़ पर उतरकर इंदौर इच्छापुर नेशनल हाइवे पर पहुंचे तो यह रैली उग्र हो गई। शनवारा चौराहे पर करीब 10 मिनट तक चक्काजाम, सिंधीबस्ती चौराहे पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने के बाद किसानों का कारवां कलेक्ट्रेट की तरफ बढ़ा। जबकि कलेक्ट्रेट में पहले से ही रैली का इंतजार कर रहे किसानों भी समर्थन मिला तो किसानों का एक गुट कलेक्ट्रेट में घुसने के लिए आक्रोशित हो गया।

पुलिस ने रोका तो की झूमाझटकी

किसानों को धरना प्रदर्शन के लिए अनाज मंडी जाना था, लेकिन किसान कलेक्ट्रेट परिसर में जाने की जिद पर अड़ गए। पुलिस, प्रशासन ने कलेक्ट्रेट का मुख्य गेट रस्सी से बांध दिया, लेकिन किसान नहीं माने और गेट खुलवाने के लिए पुलिस के साथ झूमाझटकी करने लगे। गेट खुलते ही किसान परिसर नारेबाजी कर पहुंच गए। लेकिन बैरीकेडिंग को तोडकऱ कार्यालय में प्रवेश की जिद करने लगा। पुलिस ने सख्ती दिखाकर रोका तो धक्का, मुक्की में कार्यालय के कांच का गेट ही टूट गया। पुलिस को बलपूर्वक किसानों को दूर करना पड़ा। इस झूमाझटकी में एएसपी, सीएसपी सहित जवानों के हाथ पर कांच लगने से खून निकलने लगा। गेट टूटने के बाद किसान धरने पर बैठे। एसपी ने समझाया कि आप का धरना स्थल मंडी है न कही कलेक्ट्रेट फिर कुछ किसान पीछे हटने के बाद सभी किसान मंडी के लिए रवाना हो गए।

क्यो बनी ऐसी स्थिति

विरोध और आंदोलन की शुरूआत दीपावली के पहले खकनार से हुई। केला उत्पादक किसान किशोर वासनकर ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर सरकार से केला फसल लागू करने की मांग की साथ ही मांग पूरी नहीं होने तक बिना शर्ट और चप्पल के ही रहने का संकल्प ले लिया। इस किसान के त्याग के बाद जिलेभर के किसानों का समर्थन मिला। एक -एक कर किसान शर्ट उतारकर रैली और ज्ञापन में शामिल होने लगे। यहां पर केला उत्पादक किसानों का आक्रोश बढ़ता गया। जो रैली के रूप में शहर की सडक़ों और सरकारी कार्यालयों में देखने को मिला। किसान सरकार से जल्द बीमा कराने की मांग को लेकर अड़ गए और देर रात तक मंडी में धरने पर बैठे रहे।