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यूक्रेन ने लगाया भारत पर गंभीर आरोप, रूसी शाहिद ड्रोन्स में लगे भारतीय पुर्जे

इस रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमलों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन्स में उसे कुछ ऐसे इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे मिले हैं जो भारत में बने या असेंबल किए गए थे। यूक्रेन ने इस मामले को भारत सरकार और यूरोपियन यूनियन के सामने आधिकारिक तौर पर उठाया है।

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Pankaj Meghwal

Aug 05, 2025

रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में अब बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइलों के साथ अब भारी मात्रा में ड्रोन दाग रहे हैं। इस बीच यूक्रेन ने एक रिपोर्ट जारी कर भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमलों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन्स में उसे कुछ ऐसे इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे मिले हैं जो भारत में बने या असेंबल किए गए थे। यूक्रेन ने इस मामले को भारत सरकार और यूरोपियन यूनियन के सामने आधिकारिक तौर पर उठाया है।

दरअसल रूस ईरानी शाहिद-136 ड्रोन्स से यूक्रेन पर हमले कर रहा है। यूक्रेनी जांच में पाया गया कि Vishay Intertechnology और Aura Semiconductor नाम की कंपनियों के बनाए पुर्जे इन ड्रोन में इस्तेमाल हो रहे हैं।
Vishay का बना एक ब्रिज रेक्टिफायर और Aura Semiconductor का AU5426A चिप, ड्रोन की वोल्टेज कंट्रोल और सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम में इस्तेमाल किया गया है। वहीं Aura Semiconductor ने एक बयान में कहा कि अगर उनके पुर्जे गलत हाथों में पहुंचे हैं तो यह कंपनी की नीति और नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि उनका उत्पाद एक प्लग-एंड-प्ले डिवाइस है, जिसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता है, इसमें कंपनी से कोई सीधी तकनीकी मदद नहीं चाहिए होती। इस कारण से, असली यूज़र को ट्रैक कर पाना मुश्किल हो जाता है।

इस मामले में ऐसा भी बताया गया है कि कई बार ये पुर्जे कानूनी तरीके से वेस्ट एशिया भेजे जाते हैं, फिर वहां से उन्हें रूस या ईरान तक पहुंचा दिया जाता है। यानी ये सामान सीधे प्रतिबंधित देशों को नहीं भेजा गया, लेकिन रास्ता घुमा कर पहुंचा दिया गया। लेकिन तकनीकी तौर पर इन कंपनियों ने भारत के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। भारत सरकार ने कहा है कि ड्यूल-यूज़ यानी दोहरे उपयोग वाले सामानों के निर्यात पर पूरी सतर्कता बरती जाती है और सभी निर्यात अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत किए जाते हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने पहले ईरान से 2,000 तैयार शाहिद ड्रोन्स लिए थे। बाद में, रूस ने इन्हीं पुर्जों का इस्तेमाल कर खुद ही इन्हें बनाना शुरू कर दिया। जुलाई महीने में रूस ने ऐसे 6,000 से ज़्यादा शाहिद-टाइप ड्रोन्स का इस्तेमाल किया।

हालांकि भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स बनाने वाली कंपनियों से संपर्क कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और ड्यूल-यूज़ सामानों के जोखिम के बारे में जागरूक किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं ये दिखाती हैं कि निर्यातकों को संवेदनशील इलाकों और रिस्की खरीदारों के बारे में और बेहतर जानकारी देना ज़रूरी है। लेकिन एक बार जब सामान भारत से बाहर चला जाता है, तो उसके अंतिम उपयोगकर्ता को ट्रैक कर पाना लगभग असंभव हो जाता है – और यही हर खुले व्यापारिक देश के लिए एक चुनौती है।