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Bihar Elections: दो वोटर आईडी से फंसे तेजस्वी ! चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस, क्या शिकायत करना भारी पड़ा ?

Bihar Elections: निर्वाचन आयोग ने दो अलग-अलग वोटर आईडी रखने के मामले में नोटिस जारी किया है. आयोग ने तेजस्वी यादव से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा है और तय समयसीमा के भीतर लिखित जवाब देने को कहा है

Bihar Elections: चुनाव आयोग पर सवाल उठाने वाले तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav EPIC Number Controversy) अब खुद फंसते नजर आ रहे हैं, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने दो अलग-अलग वोटर आईडी (EPIC नंबर) रखने के मामले में नोटिस जारी किया है, लगता है उनका शिकायत करना भारी पड़ गया है, आयोग ने तेजस्वी यादव से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा है और तय समय सीमा के भीतर लिखित जवाब देने को कहा है. बताया जा रहा है कि, तेजस्वी यादव के नाम पर दो EPIC नंबर—RAB0456228 और RAB2916120 – मौजूद हैं. इनमें से पहला नंबर 2020 के नामांकन पत्र और 2015 की मतदाता सूची में दर्ज था, जबकि दूसरा नंबर कहीं है ही नहीं, चुनाव आयोग को शक है कि यह दूसरा EPIC नंबर फर्जी हो सकता है. चुनाव आयोग (Election Commission) के सूत्रों का कहना है कि यह मामला मतदाता सूची में दोहरी प्रविष्टि या फर्जी दस्तावेज से जुड़ा हो सकता है, इसलिए इसकी गंभीरता से जांच की जा रही है. साथ ही, आयोग यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि दूसरा EPIC नंबर आधिकारिक रूप से जारी हुआ था या नहीं. तेजस्वी यादव ने पहले इस विषय पर कहा था कि उनका नाम मतदाता सूची से हटाया गया है, लेकिन आयोग ने यह दावा निराधार बताया है और कहा है कि उनका नाम अब भी मसौदा मतदाता सूची में दर्ज है. चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव को तथ्यात्मक जानकारी के साथ जवाब देने का निर्देश दिया है, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम दर्ज है. आयोग ने यह भी बताया कि साल 2015 की मतदाता सूची में भी तेजस्वी के पास यही EPIC संख्या (RAB0456228) थी. ऐसे में उनका यह दावा कि उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है, पूरी तरह से गलत है. आयोग ने पहले ही इस दावे को असत्य और भ्रामक करार देते हुए खारिज कर दिया है, EPIC संख्या RAB2916120 को लेकर विवाद है. जांच में यह संख्या मिली ही नहीं है. आयोग ने साफ किया कि यह EPIC न तो किसी आधिकारिक दस्तावेज में दर्ज है और न ही अब तक इसके कोई वैध रिकॉर्ड मिल पाए हैं, ऐसे में बिहार चुनाव (Bihar Elections) से पहले अब ये मुद्दा गरमा गया है