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22 करोड़ की जल योजना की उम्मीद ‘सूखी’, 37 गांव प्यासे

22 करोड़ की जल योजना की उम्मीद 'सूखी', 37 गांव प्यासे

– जल जीवन मिशन योजना: तीन दिन में एक बार मिल रहा पानी

बांसखोह.जल जीवन मिशन योजना के तहत बांसखोह कस्बा और आसपास के 37 गांवों के लिए पाटन के पास साढ़े 22 करोड़ रुपए खर्च कर 13 ट्यूबवेल खोदने का काम किया गया था। योजना थी कि इन ट्यूबवेलों से ग्रामीणों को नियमित पानी सप्लाई होगी, लेकिन भारी रकम खर्च करने के बावजूद अभी तक एक बूंद भी पानी नहीं मिल पा रहा है। बीसलपुर परियोजना से आने वाला पानी भी अनियमित रूप से तीन-तीन दिन में एक बार मिलता है।

यदि बीसलपुर का पानी बंद हो जाए तो ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जल जीवन मिशन योजना के तहत ग्राम पंचायत बांसखोह में 5 करोड़ रुपए खर्च कर दो ट्यूबवेल खोदे गए और दो अतिरिक्त पानी की टंकी बनाई गई, लेकिन दोनों ट्यूबवेल बंद हैं। इसके अलावा पहले से मौजूद पांच ट्यूबवेलों में भी पानी की आपूर्ति कम और हवा अधिक आती है। इससे योजना का ग्रामीणों को लाभ मिलना संभव नहीं हो पा रहा।

पुरानी योजना के तहत पानी एक दिन छोड़कर एक दिन मिलता था, जबकि नई योजना शुरू होने के बाद पानी तीन-तीन दिन में एक बार मिलता है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते कस्बे में पेयजल आपूर्ति बेहद अनियमित हो गई है। जबकि इसके साथ ही बांसखोह की 33 ढाणियों में पेयजल लाइन भी बिछा दी है। इसके बाद भी लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

भुगतान के बावजूद नहीं पानी ….

दो ट्यूबवेलों में पानी न निकलने के बावजूद विभाग ने ठेकेदार को भुगतान कर दिया। स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी कड़ी आलोचना की है। सामान्य मौसम में भी पानी की नियमित सप्लाई न होने से पानी टैंकरों से लाना पड़ता है। पाटन में जल जीवन मिशन के तहत 22 करोड़ की लागत से 13 ट्यूबवेल और एक बड़ा जल टैंक बनाया गया था। लेकिन 10 ट्यूबवेल बंद हैं और उनसे पानी नहीं आ रहा। 37 गांवों के लिए बनी इस योजना से लोग पूरी तरह निराश हैं। ग्रामीण केवल बीसलपुर योजना पर निर्भर हैं, जहां से पानी की सप्लाई भी नियमित नहीं हो रही।

योजना पर एक नजर…

—जल जीवन मिशन योजना में 22.5 करोड़ से 13 ट्यूबवेल व एक टैंक बनाया

—5 करोड़ रुपए बांसखोह में खर्च

—10 ट्यूबवेल पाटन और बांसखोह के 2 नए ट्यूबवेल बंद

—बीसलपुर परियोजना में 3 दिन में एक बार मिलता है पानी

—पानी की नियमित सप्लाई नहीं होने से टैंकरों पर निर्भर है ग्रामीण

गिरते भूजल स्तर से कम मिल रहा पानी….

जेजेएम योजना के तहत कस्बे एवं ढाणियों में पेयजल आपूर्ति करनी थी। वर्तमान में नियमित पेयजल आपूर्ति नहीं हो रही। वह कर्मचारियों के साथ लगातार मॉनिटरिंग कर लाइनों की मरम्मत करवा रहे हैं। गिरते जलस्तर के कारण ट्यूबवेलों में पानी की आपूर्ति कम है और 24 घंटे विद्युत आपूर्ति नहीं मिल रही। बीसलपुर परियोजना से भी बांसखोह को पेयजल आपूर्ति पूरी नहीं मिल रही।

-नंदकिशोर मीना, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग बस्सी

बांसखोह ग्राम पंचायत क्षेत्र में पेयजल की समस्या विकराल होती जा रही है। पेयजल के लिए 5 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद ग्राम पंचायत क्षेत्र में नियमित पेयजल आपूर्ति नहीं हो रही। तीन चार दिन में पेयजल आपूर्ति होने से महिलाएं पंचायत कार्यालय पर आकर भी उलाहना देती है।

-सुमन शर्मा, सरपंच बांसखोह।