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निराश्रित पशु बने ‘नासूर’, आश्रय स्थल खुले तो मिले राहत

चार साल में 127 मौत चौमूं.सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लागू की गई गोवंश पशु आश्रय स्थल योजना को तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन जयपुर जिले की ग्राम पंचायतों में अब तक निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय स्थल नहीं बन पाए हैं। जिले की 22 पंचायत समितियों की 600 ग्राम पंचायतों […]

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Kailash Barala

May 22, 2025

चार साल में 127 मौत

चौमूं.सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लागू की गई गोवंश पशु आश्रय स्थल योजना को तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन जयपुर जिले की ग्राम पंचायतों में अब तक निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय स्थल नहीं बन पाए हैं। जिले की 22 पंचायत समितियों की 600 ग्राम पंचायतों में 2,274 गांव शामिल हैं, लेकिन अब तक मात्र 4 पंचायतों में ही आश्रय स्थलों के निर्माण के लिए वर्क ऑर्डर जारी हुए हैं। इसका नतीजा है कि निराश्रित पशु अब गांवों से लेकर शहरों तक, विशेषकर सड़कों और राजमार्गों पर जानलेवा खतरा बनते जा रहे हैं। जयपुर जिले से गुजरने वाले 5 राष्ट्रीय राजमार्गों जयपुर-आगरा, जयपुर-कोटा, जयपुर-दिल्ली, जयपुर-सीकर और जयपुर-अजमेर पर निराश्रित पशुओं की आवाजाही पर कोई ठोस प्रबंध नहीं किया है। स्थानीय लोगों में इस मुद्दे को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। वे मांग कर रहे हैं कि निराश्रित पशुओं के लिए जल्द से जल्द आश्रय स्थल खोले जाएं, ताकि सड़क हादसों में कमी लाई जा सके और इन पशुओं के जीवन में भी सुधार हो।चार साल में 127 मौत, हादसों का कारण बने पशु….चौमूं थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 15 किमी दायरे में स्थित जयपुर-सीकर राजमार्ग पर बीते चार वर्षों में कुल 401 सड़क हादसे हुए, जिनमें 127 लोगों की जान चली गई। जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच ही 35 हादसे हो चुके हैं, जिनमें चार लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें से आधे से अधिक हादसे निराश्रित पशुओं की वजह से हुए हैं।योजना का उद्देश्य….पशु आश्रय स्थल योजना का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर घूमने वाले निराश्रित गोवंश को नियंत्रित करना, हादसों में कमी लाना, फसलों को नुकसान से बचाने और पशुओं को चारा-पानी सहित बेहतर जीवन उपलब्ध कराना था। योजना के तीन वर्ष बीतने के बावजूद इसका धरातल पर असर नहीं दिख रहा है।यह है अड़चन….योजना के तहत ग्राम पंचायतों और चयनित गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) को आश्रय स्थलों का निर्माण एवं संचालन करना था। इसके लिए शर्त रखी थी कि ग्राम पंचायत या एनजीओ के पास न्यूनतम 5 बीघा स्वयं की भूमि हो और 200 गोवंश की क्षमता वाली गोशाला भी हो। साथ ही इन पशुओं की देखभाल कम से कम 20 वर्षों तक करनी होगी। अधिकांश ग्राम पंचायतों के पास न तो पर्याप्त भूमि है और न ही संसाधन, जिसके चलते यह योजना अभी तक सफल नहीं हो पा रही है।फैक्ट फाइल….वर्ष हादसे मौत2021 72 242022 85 272023 94 342024 115 382025 35 4(जयपुर-सीकर हाईवे पर 15 किमी के दायरे की स्थिति)ओट से मिल रही चोट…..चौमूं निवासी कैलाश शर्मा ने बताया कि हाईवे पर लगे पौधों की आड़ में पशु खड़े रहते है। इस दौरान सड़क मार्ग पर आने पर वाहन से टकरा जाते है। जिससे कई हादसे हो चुके है। यदि पशु आश्रय स्थल खोले जाए तो हादसों में कमी आएगी।हर पल हादसे की संभावना….उदयपुरिया मोड निवासी महेन्द्र यादव ने बताया कि जयपुर-सीकर हाईवे पर निराश्रित पशु भटकते रहते है। इनसे हर पल हादसे की संभावना रहती है। आश्रय स्थल खुलने चाहिए।खेतों में पहुंच रहे पशु…..चौमूं के सुरेश ढबास ने कहा कि निराश्रित पशु हाईवे पर भटकते रहते है। सरकार को पशु आश्रय स्थल योजना खोलने पर ध्यान देना चाहिए। इसको लेकर पत्राचार के माध्यम से सरकार से मांग की जाएगी।इनका कहना है….आश्रय स्थल खोलने को लेकर ग्राम पंचायत स्तर से पत्राचार जारी है। नोडल अधिकारी भी प्रयास में है। अभी जिले की 4 पंचातयों में खोलने को लेकर वर्क ऑडरी जारी है।-डॉ.हनुमान सहाय मीणा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग जयपुर