कांतारा: चैप्टर 1’ बना सांस्कृतिक सफलता की नई मिसाल, ऋषभ शेट्टी ने काशी में जताया कृतज्ञता भाव (फोटो सोर्स : X)
Kantar Chapter 1: भारतीय सिनेमा के इतिहास में कभी-कभी कुछ फिल्में केवल मनोरंजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक आंदोलन बन जाती हैं। होम्बले फिल्म की नवीनतम प्रस्तुति ‘कांतारा: चैप्टर 1’ ऐसी ही एक फिल्म है, जिसने दर्शकों को न केवल प्रभावित किया बल्कि उन्हें भारतीय लोककथाओं, आस्था और प्रकृति की आत्मा से जोड़ दिया। फिल्म की अपार सफलता के बाद इसके निर्देशक और मुख्य अभिनेता ऋषभ शेट्टी ने अपने अंदाज़ में धन्यवाद अर्पित किया।वाराणसी पहुंचकर गंगा आरती में हिस्सा लिया और काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
ऋषभ शेट्टी के लिए यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति थी। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर हुई गंगा आरती में वे पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए और आरती के दौरान उन्होंने भगवान शिव तथा मां गंगा के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि “कांतारा जैसी फिल्म बनना और उसका लोगों के दिलों तक पहुंचना केवल मेहनत नहीं, ईश्वर की कृपा है। काशी की इस पवित्र धरती पर आकर आशीर्वाद लेना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आरती के दौरान घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं ने भी उन्हें पहचान कर जयकारे लगाए- “हर हर महादेव!” और “जय श्रीराम!” की गूंज के बीच ऋषभ शेट्टी का यह क्षण सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
2 अक्टूबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई कांतारा: चैप्टर 1 देश-विदेश में जबरदस्त प्रशंसा पा रही है। यह फिल्म कन्नड़, हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, बंगाली और अंग्रेज़ी भाषाओं में रिलीज हुई, और पहले ही सप्ताह में रिकॉर्ड तोड़ बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया। फिल्म ने न केवल साउथ इंडियन सिनेमा की सीमाओं को पार किया बल्कि भारतीय लोककथाओं और अध्यात्म की जड़ों को आधुनिक सिनेमाई भाषा में प्रस्तुत किया। दर्शकों ने इसकी तुलना कांतारा (2022) से की और इसे उससे भी “ज्यादा परिपक्व, भावनात्मक और शक्तिशाली” बताया।
फिल्म का निर्माण प्रसिद्ध प्रोडक्शन हाउस होम्बले फिल्म्स ने किया है, जिसने KGF जैसी सुपरहिट फिल्में दी हैं। निर्माताओं ने इस बार तकनीकी गुणवत्ता और लोककथा-आधारित कथा को बारीकी से जोड़ा है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अरविंद कश्यप, संगीत बी. अजनीश लोकनाथ, और प्रोडक्शन डिजाइन विनेश बंग्लान ने किया है। इनकी टीमवर्क ने ‘कांतारा: चैप्टर 1’ को एक सांस्कृतिक अनुभव बना दिया है, सिर्फ फिल्म नहीं।
‘कांतारा’ सीरीज़ की खासियत यह है कि यह ग्रामीण जीवन, परंपराओं और प्रकृति के बीच संबंध को दर्शाती है। पहले भाग में जहां ‘दैव’ और ‘भूत कोला’ की परंपरा को दिखाया गया था, वहीं चैप्टर 1 उस परंपरा की उत्पत्ति और दर्शन की कहानी कहता है।
ऋषभ शेट्टी का कहना है,“हमारी जड़ें हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। जब हम अपनी संस्कृति को समझते हैं, तभी हम खुद को पहचान पाते हैं। कांतारा उसी आत्म-खोज की यात्रा है।”फिल्म में गूंजता ढोल, लोकगीतों की ताल और हर फ्रेम में बसी भक्ति भावना दर्शकों को एक आध्यात्मिक अनुभव देती है।
वाराणसी में ऋषभ शेट्टी का यह दौरा केवल फिल्म प्रमोशन का हिस्सा नहीं था।उन्होंने कहा कि वाराणसी भारत की आत्मा है। यहाँ हर पत्थर, हर ध्वनि, हर लहर में दिव्यता है। कांतारा भी इसी दिव्यता की कहानी है,इंसान और प्रकृति के रिश्ते की।” काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ गंगा आरती में भाग लिया और फिल्म की सफलता को ‘देव कृपा’ बताया।स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों ने उन्हें ‘दक्षिण भारत का गर्व’ कहा।
‘कांतारा: चैप्टर 1’ को न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी सराहा जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे देशों में फिल्म के शो हाउसफुल चल रहे हैं। क्रिटिक्स ने इसे “A celebration of faith and folklore” कहा है। सोशल मीडिया पर फिल्म से जुड़े सीन, बैकग्राउंड स्कोर और ऋषभ शेट्टी के डायलॉग ट्रेंड कर रहे हैं। दर्शक कहते हैं,यह सिर्फ फिल्म नहीं, एक आध्यात्मिक यात्रा है।”
होम्बले फिल्म के सूत्रों के अनुसार,कांतारा’ अब एक फिल्म से आगे बढ़कर एक “कथा ब्रह्मांड” (Story Universe) बन चुकी है। चैप्टर 2 पर काम 2026 की शुरुआत से शुरू होगा। इसमें भारत की विभिन्न लोक परंपराओं को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। ऋषभ शेट्टी का कहना है कि वे इस सीरीज को “भारत के सांस्कृतिक डीएनए” के रूप में विकसित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य मनोरंजन से आगे जाकर संस्कृति की आत्मा को दुनिया तक पहुंचाना है।”
फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कम कलाकार ऐसे होते हैं जो सफलता के बाद भी विनम्रता से अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं। ऋषभ शेट्टी ने वाराणसी पहुंचकर यही संदेश दिया कि “कला का असली मूल्य तभी है जब उसमें आस्था और कृतज्ञता हो।”उनकी गंगा आरती में भागीदारी ने दर्शाया कि कांतारा जैसी फिल्मों की शक्ति केवल उनके तकनीकी पक्ष में नहीं, बल्कि उनकी भावनात्मक सच्चाई में है। यह सच्चाई ही उन्हें देश की सीमाओं से बाहर तक पहुँचाती है।
Published on:
18 Oct 2025 09:35 am
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