
बर्ड विलेज मेनार के धंड तालाब पर उड़ान भरते पक्षी।
मेनार .(उदयपुर). जिले के विश्व विख्यात रामसर स्थल मेनार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स क्षेत्र में सात समंदर पार से प्रवासी पक्षियों ने शीतकालीन प्रवास के लिए आना शुरू कर दिया है । मेवाड़ अंचल के तालाब, जलाशयों, पोखर आदि में यूरोप साइबेरिया आदि शीत प्रदेशों से आने वाले पक्षियों ने पड़ाव डालना शुरू कर दिया है।पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार कुछ दिनों पूर्व इन पक्षियों का आगमन शुरू हुआ है। प्रतिवर्ष मेनार तालाब पर देशी- विदेशी 150 से अधिक प्रजातियों के पक्षी आते हैं। अभी तक एक दर्जन से अधिक प्रजातियों के पक्षियों ने अपनी आमद दर्ज कराई है । मेवाड़ अंचल के तालाब, जलाशयों, पोखर आदि में यूरोप साइबेरिया आदि शीत प्रदेशों से आने वाले पक्षियों ने पड़ाव डालना शुरू कर दिया है। पक्षी विशेषज्ञों का मानना है की इस बार कुछ दिनों पूर्व इन पक्षियों का आगमन शुरू हुआ है। अभी तक एक दर्जन से अधिक प्रजातियों के पक्षियों ने अपनी आमद दर्ज कराई है । प्रवासी पक्षी शीत प्रदेशों में बर्फबारी के बाद मूल स्थान से कुछ समय के लिए भोजन और आवास की तलाश में निकल जाते हैं, जो अब बर्ड विलेज मेनार सहित मेवाड़ के जलाशयों पर पहुंचना शुरू हो गए है। जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी वैसे वैसे प्रवासी पक्षियों की संख्या में भी इजाफा होगा। इस साल नवंबर माह की शुरुआत तक हुई बारिश से उदयपुर संभाग के सभी छोटे बड़े जलाशय लबालब हैं। हाल ही में घोषित हुई रामसर साइट मेनार क्षेत्र के दोनों प्रमुख जलाशयों पर प्रवासी पक्षियों का आगमन भी शुरू हो गया है । यह क्रम नवंबर के अंतिम दिनों एवं दिसंबर की शुरुआत तक जारी रहेगा । इनका प्रवास काल स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यतः मेनार में ये मार्च–अप्रेल माह तक यहीं ठहरते हैं। सर्दी के दौरान ये पक्षी लगभग 4 से 5 महीने तक मेनार के जलाशयों पर डेरा जमाए रहते हैं। यहां भोजन की प्रचुर उपलब्धता और शांत वातावरण के कारण ये पक्षी प्रतिवर्ष खिंचे चले आते हैं।उल्लेखनीय है कि मेनार क्षेत्र के किसी भी जलाशय पर मछली पालन नहीं होता है और न ही इन जलाशयों के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। यही कारण है कि जलाशयों का प्राकृतिक संतुलन बना रहता है, जो प्रवासी पक्षियों के लिए आदर्श ठिकाना साबित होता है। प्रवासी परिंदों को देखने देशी- विदेशी पर्यटकों के पहुंचने का क्रम भी शुरू हो गया है । गौरतलब है की मेनार तालाब वेटलैंड कॉम्प्लेक्स मे पक्षियों की अठखेलियां देखने और उन्हें कैमरे में कैद करने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक मेनार आते है । अभी तक मेनार तालाब पर सर्दियों की शुरुआत से ही कॉमन क्रेन, रूडी शेल डक, गैडवाल, गार्गेनी, नॉर्दर्न शोवलर, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, यूरेशियन राई नेक, ब्लैक रेडस्टार्ट, चिफचैफ और लेसर व्हाइटथ्रोट शामिल हैं। वहीं धंड तालाब के ऊपर प्रवासी शिकारी पक्षी मार्श हैरियर को शिकार की तलाश में मंडराते हुए देखा गया।
मेवाड़ में इस बार लंबे समय तक दिखेगी जलाशयों की प्राकृतिक छटा
इस वर्ष अक्टूबर माह के अंतिम दिनों तक जारी रही बारिश के कारण पिछले सप्ताहभर से नदियों और नालों में जल प्रवाह अच्छा बना हुआ है। लंबे समय तक नदियों और जलाशयों में पानी बहता रहने से मछलियों को प्रजनन गतिविधियों के लिए उपयुक्त समय मिला। दीर्घकालिक जल प्रवाह के चलते इस वर्ष मछलियों की प्रजनन अवस्था बेहतर रही है। मछलियों की अच्छी संख्या प्रवासी पक्षियों के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था करेगी। ऐसे में इस बार अधिक संख्या में प्रवासी पक्षियों के आने की संभावना है। हालांकि, पानी के अधिक फैलाव के कारण उन्हें देखना थोड़ा कठिन होगा। झुंड में आए पक्षी अन्य जलाशयों पर भी ठहराव करेंगे। वहीं, जहां प्रतिवर्ष पक्षी आते हैं, वहां पानी के अत्यधिक फैलाव के चलते वे कम दिखाई देंगे।
150 से अधिक प्रजातियों के पक्षी आते हैं प्रवास पर
मेनार तालाब पर सर्दियों के मौसम में 150 से अधिक प्रजातियों के हजारों स्थानीय और प्रवासी पक्षी दिखाई देते हैं। इन रंग-बिरंगे परिंदों की मनमोहक छटा देखने के लिए देश-विदेश से पक्षी प्रेमी, पर्यटक और विशेषज्ञ बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं।एक्सपर्टपक्षी आयेंगे अधिक लेकिन दिखेंगे कम
रामसर स्थल के रूप में मेनार का पहला वर्ष अत्यंत शुभ रहा है। लंबे समय बाद जलाशय लबालब हुए हैं, जिससे जलीय और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। बैकवॉटर इकोलॉजी भी समृद्ध हो रही है। वही अत्यधिक जल फैलाव से इस बार पक्षियों की संख्या कम प्रतीत हो सकती है, परंतु वे लगभग सभी जलाशयों पर दिखाई देंगे। पक्षियों का संसार इन अनुकूल परिस्थितियों में और अधिक विविधतापूर्ण एवं जीवंत रूप में विकसित होगा।
डॉ. सतीश शर्मा
वन्य जीव विशेषज्ञ, उदयपुर
Published on:
04 Nov 2025 07:50 pm
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