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मेरठ स्थित मंशा देवी मंदिर सिद्धपीठ है। जहां प्रत्येक रविवार को दूर-दूराज से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। यहां विराजमान मूर्ति को हर दिन अलग-अलग वस्त्र पहनाए जाते हैं। कहते हैं कि किसी श्रद्धालु को जब भी परेशानी आती है तो वह अपनी पत्नी के साथ देवी की मूर्ति के सामने अपनी परेशानी बयां करता है। इस तरह सच्चे मन से मांगी गर्इ मुराद मां मंशा देवी जरूर पूरी करती हैं। <strong>किवदंती</strong> मंशा देवी के सिद्धपीठ होने से जुड़ी कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि लंका नरेश रावण हिमालय से तपस्या करके देवी शक्ति साथ लाए थे। उन्हें यह शक्ति बीच रास्ते में नहीं रखनी थी। रावण को जब लघुशंका आई तो उन्होंने एक ग्रामीण को यह पकड़ा दी। रावण के हाथ से निकलते ही देवी शक्ति यहां स्थापित हो गर्इ। इसके बाद यह शक्ति मां मंशा देवी के नाम से लोक में प्रसिद्ध हुर्इं। बताया जाता है कि मां मंशा देवी की यहां मिट्टी की छोटी मूर्ति थी, बाद में यहां मंदिर का निर्माण कराया गया। <strong>भंडारे का विशेष महत्व</strong> मंदिर के पुजारी भगवत गिरि का कहना है कि यहां सच्चे मन से की गर्इ प्रार्थना मंशा देवी जरूर सुनती हैं। मनोकामना पूरी करने के बाद श्रद्धालुओं द्वारा देवी के भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसका विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि सेना में भर्ती आैर देश की सीमा पर ड्यूटी करने वाले सैनिक देवी से आशीर्वाद मांगने जरूर आते हैं। <strong>एेसे पहुंचे मंदिर</strong> मेरठ के गढ़ रोड पर मेडिकल कॉलेज के गेट के ठीक सामने मंशा देवी का मंदिर है। दिल्ली से मेरठ भैंसाली रोडवेज बस अड्डे की दूरी 65 किलोमीटर है। वहीं बस अड्डे से मंदिर की दूरी पांच किलोमीटर है। इसके लिए सिटी बस, आॅटो या रिक्शा से यहां तक पहुंचा जा सकता है।