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अब बारिश के सीजन की सब्जियां भी आएगी बीमा के दायरे में

हाड़तोड़ मेहनत से सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत की खबर है।

हाड़तोड़ मेहनत से सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत की खबर है। किसान प्राकृतिक आपदा की स्थिति में खरीफ की फसल के साथ बारिश के सीजन में बोई जाने वाली सब्जियों को भी बीमा के दायरे में ले सकेंगे।केंद्र सरकार ने पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना में सीकर जिले में खरीफ सीजन में टमाटर, हरी मिर्च, टिंडे सहित आठ सब्जी की फसल को बीमा के दायरे में शामिल किया है। अच्छी बात है कि फसली लोन लेने वाले किसानों के खाते से फसल बीमा की तर्ज पर प्रीमियम की राशि स्वत: कट जाएगी।

इस तरह मिलेगा लाभ

किसान को फसल बीमा करवाने से पहले से अपनी गिरदावरी को संबंधित बैंक में जमा करवाना होगा। जिसके आधार पर बैंक ऋणी किसानों का प्रीमियम अनिवार्य रूप से प्रीमियम काटकर बीमा कंपनी को भेजेगी। जो ऋणी किसान फसल बीमा योजना से अलग रहना चाहता है तो उस किसान को संबंधित बैंक शाखा में लिखित में ऑप्ट आउट का घोषणा पत्र देना होगा। बीमा की प्रक्रिया एक जुलाई से शुरू की जाएगी। गौरतलब है कि सीकर जिले में औसतन पचास हजार से ज्यादा किसान सीधे तौर पर केवल सब्जियों के उत्पादन कार्य से जुड़े हुए हैं। जिले के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को अधिकृत किया गया है।

आठ सब्जी दायरे में

पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा के लिए सीकर जिले में रबी और खरीफ सीजन के दौरान होने वाली आठ प्रकार की सब्जियों को अधिकृत किया गया है। इनमें हरी मिर्च, टिंडा, टमाटर, फूलगोभी, प्याज, मटर, तरबूज, सर्दी के सीजन का टमाटर शामिल है। इन सब्जियों का बीमा करवाने पर किसान को सरकार की ओर से प्रीमियम में अनुदान दिया जाएगा। किसान सभी सब्जियों का बीमा महज पांच प्रतिशत प्रीमियम की राशि देकर करवा सकेंगे। अनुदान की राशि का भुगतान केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से बीमा कंपनी को किया जाएगा।

फसल मुआवजा प्रति हेक्टेयर

हरी मिर्च-118400

टिंडा-102000

टमाटर-129331

फूलगोभी-100313

प्याज-180649

मटर-100566

टमाटर-129331

तरबूज-157500

किसानों को फायदा है

प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए किसान अपनी सब्जियों को भी बीमा के दायरे में ले सकेंगे। इससे किसान को होने वाले आर्थिक व मानसिक नुकसान की काफी हद तक भरपाई हो सकेगी। बीमा की प्रक्रिया एक जुलाई से शुरू हो जाएगी।

नितेश गढ़वाल, जिला प्रबंधक, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड