
सीकर. एक सप्ताह में मौसम में आई ठंड और बढ़ी नमी ने सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है। जिला अस्पताल और निजी चिकित्सालयों के श्वसन रोग विभागों में इन दिनों सीने में जकड़न, खांसी और सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। चिकित्सकों का कहना है कि ठंड के मौसम में हवा में नमी बढ़ने से प्रदूषक कण नीचे बैठ जाते हैं, जिससे सांस संबंधी रोगियों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। जिला अस्पताल सीकर के श्वसन रोग विभाग में पिछले एक पखवाड़े में 40 प्रतिशत तक मरीजों की संख्या बढ़ी। ओपीडी में औसतन दिनभर में 80 से 100 मरीज सीने में जकड़न, खांसी, सांस फूलना जैसी शिकायतों के साथ पहुंच रहे हैं। इनमें से करीब हर चौथा मरीज सीओपीडी या अस्थमा से पीड़ित पाया जा रहा है।
चिकित्सकों के अनुसार सर्द मौसम में हवा भारी और नमीदार हो जाती है, जिससे प्रदूषक कण नीचे बैठ जाते हैं। वहीं सुबह-शाम का कोहरा और धुआं सांस के रास्तों में चिपक कर संकरा बन जाता है। धूम्रपान करने वालों में खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता है।
मौसम को देखते हुए ठंडी हवा से बचने के लिए नाक-मुंह को मफलर या मास्क से ढकें। सुबह-सुबह तेज ठंडी हवा में टहलने से बचें। धूम्रपान और धुएं के संपर्क से पूरी तरह दूर रहें। सांस में तकलीफ होने पर तुरंत चिकित्सक से जांच कराएं, दवा बंद न करें।
सीओपीडी फेफड़ों की एक दीर्घकालिक बीमारी है जिसमें हवा के मार्ग संकरे हो जाते हैं। इससे मरीज को सांस लेने में कठिनाई, लगातार खांसी और बलगम की समस्या होती है। धूम्रपान करने वाले और धूलभरे माहौल में काम करने वाले व 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगअस्थमा या पुरानी खांसी से पीड़ित मरीज में इसके लक्षण उभरने लगते हैं। ऐसे में मरीज को बार-बार खांसी, बलगम के साथ सांस फूलने, सीने में जकड़न और हल्का काम करने पर भी थकान महसूस होती है
कुछ दिनों में सीओपीडी और अस्थमा के मरीजों में बढ़ोतरी हुई है। ठंड और नमी दोनों फेफड़ों पर दबाव डालते हैं। अचानक बदले मौसम में सावधानी जरूरी है।ऐसे में पुराने मरीज को दवा और इनहेलर नियमित रूप से लेना चाहिए। अनावश्यक बाहर निकलने से बचें।
डॉ. परमेश पचार, श्वसन रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज सीकर
Published on:
28 Oct 2025 11:52 am
बड़ी खबरें
View Allसीकर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग

